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हिमाचल के मुख्यमंत्री ने लोगों से बिजली सब्सिडी छोड़ने की अपील की

हिमाचल प्रदेश आर्थिक बदहाली से जूझ रहा है। अब कांग्रेस सरकार ने इससे उबरने के लिए राज्य की जनता से बिजली पर मिल रही सब्सिडी को छोड़ने की अपील की है

हिमाचल के मुख्यमंत्री ने लोगों से बिजली सब्सिडी छोड़ने की अपील की
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शिमला। हिमाचल प्रदेश आर्थिक बदहाली से जूझ रहा है। अब कांग्रेस सरकार ने इससे उबरने के लिए राज्य की जनता से बिजली पर मिल रही सब्सिडी को छोड़ने की अपील की है।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने प्रदेश के साधन संपन्न लोगों से बिजली पर सब्सिडी छोड़ने की अपील की है। प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य में कई ऐसे भी बिजली उपभोक्ता हैं, जिनके नाम से 285 बिजली मीटर लगे हुए हैं। वहीं, 100 और 200 बिजली मीटर वाले भी कई लोग थे। उनके खुद के नाम भी पांच बिजली मीटर हैं। इसे देखते हुए सरकार सभी साधन संपन्न लोगों से बिजली पर सब्सिडी छोड़ने की अपील करती है।

मुख्यमंत्री ने बताया कि उन्होंने हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड द्वारा जारी प्रोफार्मा खुद भरकर मुफ्त बिजली सब्सिडी छोड़ दी है। उनके सभी कैबिनेट मंत्रियों ने भी बिजली सब्सिडी छोड़ दी है। उनके अनुसार, पूर्व सरकार के फैसले के तहत मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक और सरकारी अधिकारी भी बिजली सब्सिडी का लाभ ले रहे थे, जो राज्य के विद्युत बोर्ड पर एक वित्तीय बोझ डाल रहा था।

हिमाचल प्रदेश में अभी 125 यूनिट बिजली की सब्सिडी पहले की सरकार की ओर से दी जा रही है, जबकि कांग्रेस ने चुनाव में 300 यूनिट बिजली मुफ्त देने का वादा किया था। लेकिन अभी तक कांग्रेस सरकार ने 300 यूनिट बिजली मुफ्त देने की गारंटी को पूरा नहीं किया है। अब मुख्यमंत्री सूक्खु पहले से मिल रही 125 यूनिट मुफ्त बिजली को छोड़ने की अपील कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री की माने तो इससे प्रदेश बिजली बोर्ड को 200 करोड़ रुपये का फायदा होगा। बिजली बोर्ड पहले से ही घाटे में चल रहा है, ऐसे में घाटे से उबरने के लिए सरकार ने आमजन से सब्सिडी छोड़ने की अपील की है।

सीएम सुक्खू ने मीडिया से कहा, "हम बिजली के लिए 2,200 करोड़ रुपये की सब्सिडी पर चर्चा कर रहे हैं, और हमने पाया कि बिजली बोर्ड में काम करने वाले सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए हम उनके वेतन और पेंशन का भुगतान करने के लिए बिजली की यूनिट लागत का लगभग 2.5 गुना खर्च करते हैं। ये हमारे ही हिमाचल के लोग हैं, जिन्होंने बिजली बोर्ड में सेवाएं दी हैं और हमारी सरकार उनकी सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।"


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