Top
Begin typing your search above and press return to search.

झारखंड में एक बार फिर हेमंत सोरेन की वापसी, जल्द सरकार बनने की उम्मीद

झारखंड में एक बार फिर हेमंत सोरेन (झारखंड ) की अगुवाई में इंडिया गठबंधन की सरकार बनने की उम्मीद बढ़ गई है। शुरुआती रुझानों में बीजेपी गठबंधन काफी पिछड़ती दिख रही है

झारखंड में एक बार फिर हेमंत सोरेन की वापसी, जल्द सरकार बनने की उम्मीद
X

झारखंड। झारखंड में एक बार फिर हेमंत सोरेन (झारखंड ) की अगुवाई में इंडिया गठबंधन की सरकार बनने की उम्मीद बढ़ गई है। शुरुआती रुझानों में बीजेपी गठबंधन काफी पिछड़ती दिख रही है। जबकि इंडिया अलायंस बहुमत के आंकड़ों को पार कर चुका है। ऐसे में दोनों गठबंधन का फासला काफी बढ़ गया है. अगर हेमंत सोरेन दोबारा सरकार बनाने में कामयाब रहते हैं तो उनके लिए ये बड़ी उपलब्धि और इससे उनका राजनीति कद बढ़ेगा। आइए जानते हैं कि झारखंड में इंडिया गठबंधन की जीत के बड़े फैक्टर्स क्या हैं?

1. आदिवासी बाहुल्य सीट पर हेमंत सोरेन का जलवा

झारखंड में आदिवासियों की आबादी 26 फीसदी ज्यादा है, कई विधानसभा सीटों पर आदिवासियों की संख्या 40 फीसदी से भी ज्यादा है. इस चुनाव का परिणाम दर्शाता है कि आदिवासियों ने एक बार फिर हेमंत सोरेन पर विश्वास दिखाया है। दरअसल, बीजेपी के पास हेमंत सोरेन के मुकाबले का कोई आदिवासी बड़ा नेता नहीं है। चंपई सोरेन भले ही जेएमएम छोड़कर बीजेपी में आ गए, इसके अलावा हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन भी बीजेपी के साथ हो गईं। लेकिन आदिवासियों को इनका पाला बदलना पसंद नहीं आया. चुनाव रुझान में उन सीटों पर हेमंत सोरेन को जोरदार कामयाबी मिलती दिख रही है, जहां आदिवासियों की संख्या ज्यादा है।

2. मुस्लिम-यादव और आदिवासी सीटों पर बंपर जीत

आदिवासियों के अलावा झारखंड में मुस्लिम और यादव बाहुल वाली सीट पर कॉम्बिनेशन बनने इंडिया गठबंधन को कामयाबी मिलती दिख रही है। झारखंड के 10 से ज्यादा ऐसी सीटें हैं, जहां इनकी आबादी 50 फीसदी से भी ज्यादा है, इन सीटों में इंडिया गठबंधन को फिलहाल मजबूत बढ़त है। साथ ही बीजेपी कई नेताओं ने झारखंड में 'बंटेंगे तो कटेंगे' का नारा दिया, लेकिन ध्रुवीकरण नहीं हुआ। यहां 'हिन्दू-मुस्लिम' से ज्यादा आदिवासी अस्मिता का दांव चला है। बीजेपी ने बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा भी जोर-शोर से उठाया। लेकिन हेमंत सोरेन ने भाजपा पर काटो-बांटो की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए 'बेटी-माटी-रोटी' का नारा दिया, जो काम कर गया है।

3. हेमंत सोरेन की जेल बीजेपी के लिए बैकफायर

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर 31 करोड़ रुपये से अधिक की 8.86 एकड़ जमीन अवैध रूप से हासिल करने का आरोप में जेल जाना पड़ा था। जिसे उन्होंने आदिवासी अस्मिता से जोड़ दिया। उन्होंने इस बात को घर-घर तक पहुंचाने की कोशिश की कि गरीबों के नेता हेमंत सोरेन को बीजेपी ने साजिश तहत जेल में डाला। जनता चुनाव में इसका बदला वोट से लेना। कुछ हद तक वो आदिवासी समेत बड़ी आबादी को ये बताने में कामयाब भी रहे कि उन्होंने कोई घोटाला नहीं किया है और ये सब बीजेपी की बदले की राजनीति है।

4. कल्पना सोरेन ने संभाला मोर्चा

जब हेमंत सोरेन जेल में थे, भले ही उस समय चंपई सोरेन झारखंड के मुख्यमंत्री बनाए थे, लेकिन सरकार की कमान एक तरह से हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन के हाथों में थी। कल्पना सोरेन जमीन पर उतरकर पार्टी को एजकुट करने में लगी रहीं, उन्होंने हर जगह हेमंत सोरेन की जेल को जनता के नेता के बाद अन्याय करार दिया। इसके अलावा वो अलग अंदाज से अपनी बातों को रखती हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान भी उन्होंने जमकर चुनाव प्रचार किया. गांव-गांव घूमती नजर आईं और वोटर उनसे कनेक्ट हो रहे थे।

5. झारखंड में मईया योजना का चला जादू

झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार की मईया योजना का जादू चल गया है। मईया योजना के तहत झारखंड में 51 लाख से अधिक महिलाओं को वित्तीय सहायता दी जा रही है। राज्य में महिलाओं को हर महीने ₹1,000 की आर्थिक सहायता दी जाती है। यहां बीजेपी ने चुनाव में महिलाओं 2100 रुपये प्रतिमाह देने की घोषणा की थी, लेकिन जनता ने हेमंत सोरेन के वादों पर विश्वास जताया है, क्योंकि कई किस्ते महिलाओं को मिल चुकी हैं। खासकर आदिवासी महिलाओं ने आर्थिक मदद के बाद हेमंत सोरेन को खुलकर साथ दिया है।

बता दें, झारखंड में कुल विधानसभा की 81 सीटें हैं, जिसमें करीब 48 सीटों में इंडिया गठबंधन को कामयाबी मिलती दिख रही है, जबकि एनडीए को फिलहाल 31 सीटों पर बढ़त है। झारखंड में सरकार बनाने के लिए 41 सीटों की जरूरत होगी, और इंडिया गठबंधन 48 सीटों पर आगे है।

ED challenges bail to CM Hemant Soren, moves SC against Jharkhand HC order


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it