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बजट के लोगो से रुपये का चिह्न हटाने पर गौरव वल्लभ ने तमिलनाडु सरकार को घेरा

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन पर तीखा हमला किया

बजट के लोगो से रुपये का चिह्न हटाने पर गौरव वल्लभ ने तमिलनाडु सरकार को घेरा
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नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने गुरुवार को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन पर तीखा हमला किया और उनकी सरकार पर राज्य के बजट दस्तावेजों में रुपये के लिए देवनागरी लिपि के प्रतीक चिह्न को तमिल अक्षर से बदलकर "भारतीय संविधान को कमजोर करने" का आरोप लगाया।

समाचार एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए गौरव वल्लभ ने कहा, "यह कृत्य भारतीय संविधान की उपेक्षा के बराबर है। यह तमिलनाडु के लोगों की भी अवहेलना करता है, क्योंकि यह एक तमिल ने ही रुपये के आधिकारिक प्रतीक को डिजाइन किया था। मुख्यमंत्री स्टालिन इस तथ्य से अनजान हैं और इसकी बजाय देश की संप्रभुता के साथ राजनीति कर रहे हैं।"

भाजपा नेता ने कहा, "राष्ट्रीय शिक्षा नीति की आलोचना करते हुए, वह भारतीय रुपये के प्रति अवमानना दिखाते हैं। तमिलनाडु के लोग उनकी हरकतों पर करीब से नजर रख रहे हैं, क्योंकि वह राष्ट्रीय पहचान के प्रतीक को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं।"

उन्होंने कहा कि भाजपा तमिल संस्कृति और भाषा का सम्मान करती है। गौरव वल्लभ ने कहा, "इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि जहां तक तमिल संस्कृति और भाषा का सवाल है, उन्हें बचाने और बढ़ावा देने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। पीएम मोदी खुद तमिल विरासत को सर्वोच्च सम्मान देते हैं।"

भाजपा प्रवक्ता ने कड़ी चेतावनी देते हुए कहा, "तमिलनाडु के युवा और लोग आने वाले दिनों में मुख्यमंत्री स्टालिन को करारा जवाब देंगे। देश की संप्रभुता और संविधान को चुनौती देकर, वह एक सीमा पार कर रहे हैं। यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है।"

उल्लेखनीय है कि तमिलनाडु सरकार द्वारा मानक रुपये के प्रतीक चिह्न को बदलने का निर्णय ऐसे समय में आया है जब राज्य प्रशासन और भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के बीच "हिंदी थोपने" के मुद्दे पर तनाव बढ़ गया है।

द्रमुक राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) की मुखर आलोचक रही है, जो तीन-भाषा फार्मूले को बढ़ावा देती है। पार्टी का तर्क है कि इससे गैर-हिंदी भाषी राज्यों को हिंदी को अपनाने पर मजबूर किया जाएगा। मुख्यमंत्री स्टालिन ने तर्क दिया है कि यह केंद्र द्वारा गैर-हिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी थोपने का प्रयास है, जबकि केंद्र सरकार ने इस दावे का बार-बार खंडन किया है।


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