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किसानों पर पहले पुष्प वर्षा फिर गोलियां चलाना, इससे बड़ा धोखा नहीं हो सकता : धर्मेंद्र यादव

किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने रविवार को दावा किया था कि पुलिस ने शंभू बॉर्डर पर डटे किसानों पर रबड़ की गोलियां चलाईं

किसानों पर पहले पुष्प वर्षा फिर गोलियां चलाना, इससे बड़ा धोखा नहीं हो सकता : धर्मेंद्र यादव
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नई दिल्ली। किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने रविवार को दावा किया था कि पुलिस ने शंभू बॉर्डर पर डटे किसानों पर रबड़ की गोलियां चलाईं। समाजवादी पार्टी के नेता धर्मेंद्र यादव ने इसकी निंदा करते हुए इसे देश के इतिहास में किसानों के साथ सबसे बड़ा धोखा बताया है।

धर्मेंद्र यादव ने पत्रकारों से कहा, "हरियाणा में जो हुआ, मैं समझता हूं कि देश के इतिहास में किसानों के साथ इससे बड़ा धोखा नहीं हो सकता। पहले किसानों पर फूलों की बारिश की गई, लेकिन कुछ ही मिनटों में उन पर गोलियां चलाई गईं। आखिर किसानों ने क्या गलत मांगा था? जब भारतीय जनता पार्टी विपक्ष में थी, तब स्वामीनाथन रिपोर्ट की सिफारिशों को लागू करने की बात करती थी। आज वही पार्टी, जब किसान अपनी मांगों के लिए शांतिपूर्ण तरीके से दिल्ली मार्च कर रहे हैं, तो उन पर गोलियां चला रही है। दिल्ली केवल भारतीय जनता पार्टी के लिए नहीं, बल्कि देश के हर नागरिक के लिए खुली है। फिर किसानों पर जिस तरह से गोलीबारी की गई, यह बिल्कुल गलत है। पहले फूलों की बारिश करने के बाद किसानों पर गोली चलाई गई, यह धोखा था।"

उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को लागू करने की मांग तब से कर रही है, जब से सिफारिशें आई थीं और हम आगे भी संघर्ष करते रहेंगे। जो हमले किसानों पर हुए, हम उसकी कड़ी निंदा करते हैं और हर संघर्ष में किसानों के साथ खड़े हैं। यह कोई राजनीति का सवाल नहीं है, यह किसानों के अधिकारों का सवाल है। हमने पहले ही इस मुद्दे पर नोटिस दिया था, लेकिन हमें सदन में इसे उठाने का मौका नहीं दिया गया। हम चाहते थे कि सदन में किसानों की समस्याओं पर चर्चा हो, उनकी आमदनी में वृद्धि हो, उन्हें कानूनी अधिकार मिले और जो किसान शहीद हुए हैं, उनके परिवारों को मुआवजा मिले।"

उन्होंने कहा, "किसानों की जो भी मांगें हैं, जैसे कर्ज माफी, मुकदमे की वापसी, और लखीमपुर खीरी में हुई हत्याओं पर कार्रवाई, समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव किसानों के साथ खड़े हैं। मुझे उम्मीद है कि इस मामले में सभी को सहयोग करना चाहिए, क्योंकि किसान का मुद्दा इतना महत्वपूर्ण है कि इस पर कोई विरोध नहीं होना चाहिए। अगर हमें सदन में बात करने का मौका नहीं मिला, तो हम आपके माध्यम से देश की जनता और किसान भाइयों के सामने अपनी बात रख रहे हैं।"


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