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नीति आयोग के सम्मेलन में 'विकसित भारत' के रोडमैप पर चर्चा

नीति आयोग ने 6 फरवरी को राष्ट्रीय राजधानी के सुषमा स्वराज भवन में एक महत्वपूर्ण सम्मेलन का आयोजन किया। इसका विषय था “2047 तक विकसित भारत की ओर : अर्थव्यवस्था, राष्ट्रीय सुरक्षा, वैश्विक भागीदारी और कानून को मजबूत करना।”

नीति आयोग के सम्मेलन में विकसित भारत के रोडमैप पर चर्चा
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नई दिल्ली। नीति आयोग ने 6 फरवरी को राष्ट्रीय राजधानी के सुषमा स्वराज भवन में एक महत्वपूर्ण सम्मेलन का आयोजन किया। इसका विषय था “2047 तक विकसित भारत की ओर : अर्थव्यवस्था, राष्ट्रीय सुरक्षा, वैश्विक भागीदारी और कानून को मजबूत करना।”

सम्मेलन को नीति आयोग के उपाध्यक्ष, सदस्य, सीईओ, केंद्र सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार तथा रक्षा मंत्रालय के सचिव ने संबोधित किया। कार्यक्रम में पैनल चर्चा, मुख्य भाषण और विचार-विमर्श की एक श्रृंखला आयोजित की गई, जिसमें भारत के अगले दो दशकों की विकास यात्रा के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई।

एक प्रमुख सत्र “आर्थिक विकास और वैश्विक प्रतिस्पर्धा” पर आधारित था, जिसमें नीति, शिक्षा और उद्योग के विशेषज्ञों ने भारत को एक वैश्विक आर्थिक महाशक्ति बनाने की दिशा में उठाए गए कदमों की चर्चा की।

पैनलिस्टों ने नियामक सुधार, नवाचार, बुनियादी ढांचे के विस्तार और वैश्विक व्यापार में भारत की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। इसके अलावा, निजी क्षेत्र के निवेश, अनुसंधान एवं विकास और राजकोषीय समेकन की आवश्यकता पर जोर दिया गया। दीर्घकालिक आर्थिक लचीलापन के लिए संप्रभु क्रेडिट रेटिंग, ऊर्जा सुरक्षा और कच्चे माल की आपूर्ति के महत्व पर भी बात की गई।

दूसरे सत्र में “विकास के लिए रणनीतिक साझेदारी” पर चर्चा की गई, जिसमें देश की कूटनीतिक रणनीतियों और वैश्विक साझेदारियों पर जोर दिया गया।

विशेषज्ञों ने भारत के अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में नेतृत्व और खनिज संसाधनों में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के महत्व पर प्रकाश डाला।

इसके साथ ही, व्यापार उदारीकरण, टैरिफ में कमी और तकनीकी सहयोग की आवश्यकता को प्रमुख माना गया।

“आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन और राष्ट्रीय रक्षा” पर हुए सत्र में पैनलिस्टों ने आपूर्ति श्रृंखला व्यवधानों को कम करने के उपायों और राष्ट्रीय रक्षा में सार्वजनिक-निजी भागीदारी के महत्व पर चर्चा की। रक्षा आपूर्ति श्रृंखलाओं की सुगमता और साइबर सुरक्षा को एक महत्वपूर्ण कारक माना गया।

इस सम्मेलन में देश के आर्थिक विकास, वैश्विक साझेदारियों और राष्ट्रीय सुरक्षा पर महत्वपूर्ण जानकारी साझा की गई।

इन चर्चाओं ने प्रधानमंत्री के 2047 तक "विकसित भारत" के विजन को साकार करने के लिए सतत और समावेशी विकास की दिशा को और मजबूत किया।


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