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झारखंड विधानसभा में बजट पर चर्चा, मरांडी बोले, 'सरकार योजनाओं की राशि खर्च करने में विफल'

झारखंड विधानसभा में मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ विधायक बाबूलाल मरांडी ने राज्य के आम बजट पर परिचर्चा के दौरान सरकार पर आर्थिक कुप्रबंधन और योजनाओं को धरातल पर उतारने में विफल रहने का आरोप लगाया

झारखंड विधानसभा में बजट पर चर्चा, मरांडी बोले, सरकार योजनाओं की राशि खर्च करने में विफल
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रांची। झारखंड विधानसभा में मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ विधायक बाबूलाल मरांडी ने राज्य के आम बजट पर परिचर्चा के दौरान सरकार पर आर्थिक कुप्रबंधन और योजनाओं को धरातल पर उतारने में विफल रहने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा कि झारखंड में 41 फीसदी लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं, लेकिन सरकार बजट की राशि खर्च नहीं कर पा रही है। मौजूदा वित्तीय वर्ष के बजट की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में फरवरी माह तक 54 फीसदी राशि खर्च हुई है। आईटी डिपार्टमेंट ने 7.45 फीसदी और पेयजल विभाग ने मात्र 18.56 फीसदी खर्च किया है।

उन्होंने सरकार पर जुबानी हमला बोलते हुए कहा कि काम कीजिए, कामचोर मत बनिए। पैसे नहीं खर्च करेंगे और समय पर उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं देंगे तो केंद्र भी राशि नहीं देगी।

मरांडी ने कहा कि बजट में सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर पर कोई ध्यान नहीं दिया। स्वास्थ्य और शिक्षा की स्थिति खराब है। राज्य में डॉक्टर के स्वीकृत 3,334 पदों के विरुद्ध मात्र 2,210 डॉक्टर कार्यरत हैं। दुमका मेडिकल कॉलेज में शिक्षकों के 70, पलामू मेडिकल कॉलेज में 71 और हजारीबाग मेडिकल कॉलेज में शिक्षकों के 65 पद रिक्त हैं। किसी भी जिला अस्पताल में ऑपरेशन नहीं हो रहा है। गरीबों को आयुष्मान कार्ड का लाभ नहीं मिल रहा है। गरीब इलाज से वंचित हो रहे हैं।

मरांडी के वक्तव्य के दौरान स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने दावा किया कि यह आंकड़ा गलत है। उन्होंने कहा कि आयुष्मान योजना में हमने शहर में 50 और गांव में 30 बेड के हॉस्पिटल का मापदंड तय किया है। पहले दो-दो कमरे का अस्पताल बनाकर आयुष्मान कार्ड का लाभ लेने की कोशिश हो रही थी। हमने इस पर रोक लगाई।

मरांडी ने केंद्र पर राज्य का 1 लाख 36 हजार करोड़ बकाया होने के सरकार के दावे पर कहा कि इसका वास्तविक तौर पर आकलन होना चाहिए। झारखंड सरकार को बकाया लेने के लिए सूत्र पकड़ना होगा। पहले सीसीएल, बीसीएल जैसी कोयला कंपनियों के साथ बातचीत करनी होगी। उन पर कितना और कबका बकाया है, इस आंकड़े को ढूंढना होगा। वास्तविक आकलन होने पर ही केंद्र सरकार से बकाया राशि लेने के लिए ठोस और सार्थक पहल हो पाएगी, अन्यथा सरकार फिर पांच साल तक बयानबाजी की राजनीति करती रह जाएगी।

पूर्व मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार पर बजट के नाम पर भी राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि बजट भाषण में झारखंड अलग राज्य के निर्माण का क्रेडिट शिबू सोरेन जी और कांग्रेस पार्टी को दिया गया, लेकिन वित्त मंत्री ने एक बार भी उस समय के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का नाम तक नहीं लिया। ऐसा लगा कि झारखंड निर्माण में उनकी कोई भूमिका ही नहीं थी।


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