Top
Begin typing your search above and press return to search.

सीएम स्टालिन भाषा नीति पर राजनीति कर रहे : अमित मालवीय

भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत तीन-भाषा फॉर्मूले को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाया है

सीएम स्टालिन भाषा नीति पर राजनीति कर रहे : अमित मालवीय
X

चेन्नई। भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत तीन-भाषा फॉर्मूले को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाया है।

अमित मालवीय ने दावा किया कि नीति के प्रति डीएमके सरकार के सार्वजनिक विरोध के बावजूद, तमिलनाडु के मंत्रियों ने केंद्र से समग्र शिक्षा योजना के तहत धनराशि जारी करने का आग्रह किया था, जो शैक्षिक सुधारों के कार्यान्वयन से जुड़ी है।

मालवीय ने गुरुवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बैठक की तस्वीर संलग्न करते हुए पोस्ट में लिखा, "23 जुलाई 2024 को नई दिल्ली में तमिलनाडु के स्कूली शिक्षा मंत्री अंबिल महेश पोय्यामोझी ने द्रमुक संसदीय समूह की नेता और थूथुकुडी की सांसद कनिमोझी और तमिलनाडु के अन्य सांसदों के साथ केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मुलाकात की। उन्होंने उनसे 'समग्र शिक्षा' योजना के तहत तमिलनाडु के लिए लंबित धनराशि को तुरंत जारी करने का आग्रह किया और छात्रों के शैक्षिक कल्याण के लिए इन निधियों के महत्व पर जोर दिया। क्या यह सच है या नहीं?"

उन्होंने मांग की कि मुख्यमंत्री स्टालिन इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करें और द्रमुक पर गलत सूचना फैलाने का आरोप लगाया। "सीएम स्टालिन को एनईपी और तीन-भाषा नीति के इर्द-गिर्द राजनीति को स्पष्ट करना चाहिए, जो किसी भी भारतीय भाषा - जैसे कन्नड़, तेलुगु या मलयालम - की अनुमति देता है और हिंदी को अनिवार्य नहीं करता है। क्या यह विरोध 2026 में हारने के डर से प्रेरित है?"

तमिलनाडु भाजपा नेता सी.आर. केसवन ने भी द्रमुक की कथित असंगति पर सवाल उठाते हुए एक्स पर लिखा, "द्रमुक सरकार ने अगस्त 2024 में केंद्रीय रक्षा मंत्री से हमारे राष्ट्रीय मुद्रा प्रतीक के साथ एम. करुणानिधि का शताब्दी स्मारक सिक्का क्यों स्वीकार किया और मुख्यमंत्री स्टालिन ने व्यक्तिगत रूप से इसे क्यों स्वीकार किया? द्रमुक का तर्कहीन नाटक, बेतुका होने के साथ-साथ उनकी संघीय-विरोधी मानसिकता को उजागर करता है!"

यह कटाक्ष ऐसे समय में हुआ है जब एनईपी (न्यू एजुकेशन पॉलिसी) को लेकर द्रमुक के नेतृत्व वाली तमिलनाडु सरकार और भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के बीच तीखी नोकझोंक चल रही है।

साल 2020 में शुरू की गई इस नीति का उद्देश्य देश की शिक्षा प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन करना है और इसमें तीन-भाषा मॉडल की संस्तुति भी शामिल है। हालांकि नीति किसी विशेष भाषा को अनिवार्य नहीं करती है, लेकिन यह सुझाव देती है कि तीन भाषाओं में से कम से कम दो "भारत की मूल भाषा" होनी चाहिए।

मुख्यमंत्री स्टालिन नई शिक्षा नीति, खासकर तीन-भाषा फॉर्मूले के मुखर आलोचक रहे हैं। उन्होंने तर्क किया है कि यह केंद्र द्वारा गैर-हिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी थोपने का प्रयास है। हालांकि केंद्र सरकार ने बार-बार इसका खंडन किया है।

स्टालिन ने नीति को अस्वीकार करने के कई कारण बताए हैं, जिसमें संघीय सरकार की अति-पहुंच और तमिल भाषा और संस्कृति को संभावित नुकसान की चिंताएं शामिल हैं।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it