चंडीगढ़ प्रशासन अपना रहा पक्षपातपूर्ण रवैया: कांग्रेस
कांग्रेस ने गुरुवार 26 दिसंबर को आरोप लगाया कि महत्वपूर्ण मुद्दों से संबंधित प्रस्तावों से निपटने में केंद्र शासित प्रदेश का प्रशासन पक्षपातपूर्ण रवैया अपना रहा है

चंडीगढ़। कांग्रेस ने गुरुवार 26 दिसंबर को आरोप लगाया कि महत्वपूर्ण मुद्दों से संबंधित प्रस्तावों से निपटने में केंद्र शासित प्रदेश का प्रशासन पक्षपातपूर्ण रवैया अपना रहा है।
चंडीगढ़ कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता राजीव शर्मा ने यहां जारी बयान में कहा कि कुछ महीने पहले जब नगर निगम सदन की बैठक में शहर के निवासियों को 20000 लीटर पानी मुफ्त देने का प्रस्ताव पारित हुआ था, तो तत्कालीन प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित ने इस जनहितैषी प्रस्ताव का सार्वजनिक मजाक उड़ाते हुये बड़ी जल्दबाजी में इसे खारिज कर दिया था। उन्होंने ऐसा तब किया जब यह प्रस्ताव विचार के लिये उनके समक्ष अभी रखा भी नहीं गया था। संयोग से इस प्रस्ताव के विरोध में प्रशासक का बयान भारतीय जनता पार्टी की राय के बिल्कुल अनुरूप था, जो शहर के निवासियों को मुफ्त पानी उपलब्ध कराने के कांग्रेस पार्टी के चुनावी वादे के पूरी तरह खिलाफ थी।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि इसके विपरीत, केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक ने मनोनीत पार्षद अनिल मसीह के खिलाफ कार्यवाही शुरू करने के मामले पर पिछले 10 महीने से कोई निर्णय नहीं लिया है, जबकि उच्चतम न्यायालय इस साल फरवरी में भारतीय दंड संहिता की धारा 340 के तहत उनके खिलाफ कार्यवाही करने के निर्देश दे चुका है।
शर्मा ने कहा कि इसी तरह, नगर निगम के सदन ने चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिये अक्टूबर 2024 को एक ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित किया, जब उन्होंने गुप्त मतदान के बजाय हाथ उठाकर मेयर के सभी पदों का चुनाव करने के लिए एक टेबल एजेंडा पारित कर दिया था, तब भाजपा पार्षदों ने सदन में इस प्रस्ताव का जोरदार विरोध किया था। इस मुद्दे पर प्रशासन ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि प्रशासन से हमेशा बिना किसी का पक्ष लिये और बिना किसी दबाव में आये केवल गुण दोष के आधार पर फ़ैसले लेने की अपेक्षा की जाती है, क्योंकि यदि इसके विपरीत कुछ भी किया जाता है, तो वह लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के लिये शुभ संकेत नहीं है।
कांग्रेस ने प्रशासक से तत्काल आवश्यक कदम उठाने की अपील की है, ताकि यह धारणा न बन सके कि प्रशासन की निर्णय लेने की प्रक्रिया बार बार केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी के दबाव में आ जाती है।


