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दिल्ली विधानसभा में आज सीएजी रिपोर्ट पर चर्चा : विजेंद्र गुप्ता

दिल्ली विधानसभा में आज सीएजी रिपोर्ट पर चर्चा को लेकर स्पीकर ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बात की। उन्होंने कहा कि शराब नीति का मुद्दा मुख्य रूप से शामिल है। इसे सही समय से सदन में नहीं लाना दुर्भाग्यपूर्ण रहा है

दिल्ली विधानसभा में आज सीएजी रिपोर्ट पर चर्चा : विजेंद्र गुप्ता
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नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा में आज सीएजी रिपोर्ट पर चर्चा को लेकर स्पीकर ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बात की। उन्होंने कहा कि शराब नीति का मुद्दा मुख्य रूप से शामिल है। इसे सही समय से सदन में नहीं लाना दुर्भाग्यपूर्ण रहा है।

न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा, "आज विधानसभा में सीएजी रिपोर्ट पर विस्तार से चर्चा होगी, जिसमें शराब नीति का मुद्दा शामिल है। आज बड़ी संख्या में सदस्य आ रहे हैं, जो अपनी बात रखना चाहते हैं। मैं यह कहूंगा कि सीएजी को सही समय से सदन में नहीं लाना दुर्भाग्यपूर्ण रहा है। समय से सीएजी की रिपोर्ट आनी चाहिए थी, लेकिन अफसोस यह है कि आम आदमी पार्टी सरकार ने जानबूझकर उसे (सीएजी रिपोर्ट) सदन में आने से रोका, जिससे जनता तक सच नहीं पहुंच पाया।"

उन्होंने डिप्टी स्पीकर के चुनाव पर कहा, "आम आदमी पार्टी ने इसके लिए कोई कदम नहीं उठाया है। विपक्ष के पास अपना अधिकार है, वो जो भी करना चाहे कर सकते हैं।"

विजेंद्र गुप्ता ने कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित के बयान पर कहा, "हमारा भी यही कहना है कि सीएजी रिपोर्ट में विस्तार से जांच की जानी चाहिए। अब कांग्रेस बोल रही है, लेकिन वह पहले ही कह देते तो अच्छा रहता।"


कैग रिपोर्ट के मुताबिक, आम आदमी पार्टी (आप) की तत्कालीन सरकार ने नई शराब नीति में कई तरह की गड़बड़ियां की, जिसके चलते दिल्ली सरकार को करीब 2002.68 करोड़ रुपये का घाटा हुआ।

विभिन्न चीजों से अलग-अलग राशियों का नुकसान हुआ, जैसे नॉन कंफर्मिंग वार्ड्स में रिटेल दुकान न खोलना (941.53 करोड़ रुपये), सेरेंडर्ड लाइसेंस का फिर से टेंडर न करना (890 करोड़ रुपये), कोविड-19 का हवाला देते हुए आबकारी विभाग की सलाह के बावजूद जोनल लाइसेंसधारियों को शुल्क छूट देने से (144 करोड़ रुपये) और क्षेत्रीय लाइसेंसधारियों से सही तरीके से जमा राशि एकत्र न करने से (27 करोड़ रुपये) का नुकसान हुआ है। नई शराब नीति में पहले एक व्यक्ति को एक लाइसेंस मिलता था, लेकिन नई नीति में एक शख़्स दो दर्जन से ज़्यादा लाइसेंस ले सकता था।



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