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राष्ट्रपति मुर्मू पर सोनिया गांधी की टिप्पणी से भाजपा के आदिवासी नेता आहत, कहा- सामंती मानसिकता हुई उजागर

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के संबंध में कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी के बयान पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के आदिवासी नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है

राष्ट्रपति मुर्मू पर सोनिया गांधी की टिप्पणी से भाजपा के आदिवासी नेता आहत, कहा- सामंती मानसिकता हुई उजागर
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रांची। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के संबंध में कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी के बयान पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के आदिवासी नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा और पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने कहा है कि सोनिया गांधी की टिप्पणी से उनकी सामंती मानसिकता उजागर हो गई है। नेताओं ने इसे आदिवासी समुदाय के साथ-साथ राष्ट्र में सर्वोच्च गरिमा वाले पद का अपमान करार दिया है।

पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने कहा कि सोनिया गांधी ने आदिवासी समाज की सभी महिलाओं का अपमान किया है। कभी आदिवासी धर्म कोड हटाने तो कभी आंदोलन कर रहे आदिवासियों पर गोली चलवाने वाले कांग्रेसियों का सामंती चेहरा एक बार फिर सामने आया है। ये लोग यह कभी मानसिक तौर पर स्वीकार नहीं कर सकते कि कोई आदिवासी महिला देश के सबसे बड़े पद पर पहुंचे। आजादी के साढ़े सात दशकों बाद, यह सम्मान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के कार्यकाल में ही संभव हो पाया।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी पर आदिवासी समाज समेत पूरे देश को गर्व है। उनके इस अपमान को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

पूर्व मुख्यमंत्री और जनजातीय मामलों के पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि एक तरफ कांग्रेस संविधान लेकर लोगों से वोट मांगती चलती है, तो दूसरी तरफ देश के सबसे बड़े संवैधानिक पद पर बैठी आदिवासी समाज की महिला का अपमान करती है। सोनिया गांधी की टिप्पणी बेहद ओछी और अशोभनीय है।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि सोनिया गांधी का देश में सर्वोच्च संवैधानिक पद पर आसीन आदिवासी समाज की बेटी को 'पुअर लेडी' कहना अशोभनीय तो है ही, इस ओछी टिप्पणी से कांग्रेस का आदिवासी विरोधी चरित्र सामने आ गया है।

उन्होंने कहा, ''सोनिया जी, आपको आदिवासियों से इतनी नफरत क्यों? क्या गांधी परिवार उच्च संवैधानिक पदों पर सिर्फ अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझता है? यदि आप आदिवासियों का सम्मान नहीं कर सकतीं, तो कम से कम राष्ट्रपति पद की मर्यादा का तो सम्मान करिए?''


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