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भारतीय किसान यूनियन की बकाया गन्ना भुगतान को लेकर दिल्ली मार्च की योजना

भारतीय किसान यूनियन (दोआबा) ने किसानों की समस्याओं को लेकर शंभू बॉर्डर पर होने वाले कार्यक्रम में भाग लेने की घोषणा की है। यह निर्णय गुरुवार को फगवाड़ा के गुरुद्वारा सुखचैना साहिब में आयोजित बीकेयू (दोआबा) नेताओं और सदस्यों की बैठक के दौरान लिया गया। बैठक की अध्यक्षता बीकेयू (दोआबा) के अध्यक्ष मनजीत सिंह राय ने की

भारतीय किसान यूनियन की बकाया गन्ना भुगतान को लेकर दिल्ली मार्च की योजना
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फगवाड़ा। भारतीय किसान यूनियन (दोआबा) ने किसानों की समस्याओं को लेकर शंभू बॉर्डर पर होने वाले कार्यक्रम में भाग लेने की घोषणा की है।
यह निर्णय गुरुवार को फगवाड़ा के गुरुद्वारा सुखचैना साहिब में आयोजित बीकेयू (दोआबा) नेताओं और सदस्यों की बैठक के दौरान लिया गया। बैठक की अध्यक्षता बीकेयू (दोआबा) के अध्यक्ष मनजीत सिंह राय ने की।

बीकेयू (दोआबा) के राज्य महासचिव सतनाम सिंह साहनी ने बताया कि इस समागम का उद्देश्य दो महत्वपूर्ण कार्यक्रमों,
21 फरवरी को शंभू बॉर्डर पर एक विशाल समागम और 25 फरवरी को दिल्ली की ओर किसानों का मार्च के लिये समर्थन जुटाना था। इसके अतिरिक्त, गोल्डन संधार शुगर मिल, फगवाड़ा द्वारा गन्ना किसानों के लंबे समय से लंबित बकाये के बारे में भी चर्चा की गयी।

योजना के अनुसार, प्रत्येक बीकेयू (दोआबा) सर्कल से 10 से 15 कार्यकर्ता 21 फरवरी को लुधियाना के लाडोवाल टोल प्लाजा पर निजी वाहनों से जायेंगे, जहां से वे सामूहिक रूप से शंभू बॉर्डर की ओर बढ़ेंगे। पच्चीस फरवरी को, 500 कार्यकर्ताओं का एक बड़ा दल शंभू बॉर्डर की ओर मार्च करने से पहले उसी स्थान पर इकट्ठा होगा, जिसमें से 101 किसान दिल्ली की ओर बढ़ेंगे।

बैठक के दौरान नेताओं ने 2021-22 की अवधि से बकाया गन्ना मूल्य पर चिंता जताई, जो लगभग 27-28 करोड़ रुपये है। उन्होंने आरोप लगाया कि गोल्डन संधार चीनी मिल का अधिग्रहण करने वाले गुरजीत राणा समूह ने किसानों को लंबित भुगतान का आश्वासन दिया था, लेकिन दो साल बाद भी एक भी रुपया नहीं दिया गया।

यूनियन नेताओं ने चेतावनी दी कि यदि भुगतान नहीं किया गया तो बीकेयू (दोआबा) बकाया राशि जारी करने के लिये दबाव बनाने की खातिर 25 फरवरी के बाद जोरदार विरोध प्रदर्शन की घोषणा करेगी। आगामी कार्यक्रम और विरोध की रणनीतियां किसानों में विलंबित भुगतान और अनसुलझे वित्तीय शिकायतों के कारण बढ़ते असंतोष को दर्शाती हैं, तथा सामूहिक कार्रवाई के माध्यम से न्याय पाने के उनके दृढ़ संकल्प को उजागर करती हैं।


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