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बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष शुभंकर सरकार ने शिक्षक नौकरी विवाद पर उठाए सवाल

पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती विवाद को लेकर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष शुभंकर सरकार ने शनिवार को राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला

बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष शुभंकर सरकार ने शिक्षक नौकरी विवाद पर उठाए सवाल
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कोलकाता। पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती विवाद को लेकर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष शुभंकर सरकार ने शनिवार को राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला।

शुभंकर सरकार ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि यह गलती राज्य सरकार की है, जिसके चलते आज हजारों शिक्षकों के पास नौकरी नहीं है। सरकार ने शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं बरती, जिसका खामियाजा उन शिक्षकों को भुगतना पड़ रहा है, जिन्होंने मेहनत और ईमानदारी से नौकरी हासिल की थी।

शुभंकर सरकार ने मांग की कि सबसे पहले उन शिक्षकों को न्याय दिलाने पर ध्यान देना चाहिए, जिनकी नौकरियां छिन गई हैं।

उन्होंने कहा, "हमें यह देखना होगा कि इन शिक्षकों को दोबारा नौकरी कैसे मिले। प्रक्रिया में क्या गड़बड़ी हुई, यह जांचने का काम राज्य सरकार और सीबीआई का है। लेकिन प्राथमिकता उन लोगों को राहत देने की होनी चाहिए, जो इस संकट का शिकार हुए हैं।"

उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से नैतिक जिम्मेदारी लेने और इस मामले को गंभीरता से संबोधित करने की अपील की।

उन्होंने कहा कि जिन शिक्षकों की नौकरियां गईं, उनकी जिंदगी में बड़ा संकट आ गया है। कई शिक्षकों ने बच्चों की पढ़ाई, इलाज और अन्य जरूरतों के लिए लोन लिया था। अब बिना नौकरी के उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ गई है। सरकार ने इस स्थिति को ठीक करने के लिए अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।

शुभंकर सरकार ने कहा, "सभी पक्षों को मिलकर एक नया रास्ता निकालना होगा, वरना हालात और खराब होंगे।"

उन्होंने सीबीआई की भूमिका पर भी सवाल उठाए। उनका कहना था, "आखिर सीबीआई क्या कर रही है? जिन लोगों ने इस मामले में राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश की, वे तो सफल रहे, लेकिन शिक्षक बीच में फंस गए हैं।"

उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से भी इस मामले में दखल देने की मांग की, ताकि प्रभावित शिक्षकों को इंसाफ मिल सके।

उन्होंने बंगाल के शिक्षा विभाग को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि यह घटना राज्य के शिक्षा तंत्र पर एक काला धब्बा है। कांग्रेस नेता ने चेतावनी दी कि अगर जल्द कदम नहीं उठाए गए, तो स्थिति और बिगड़ सकती है। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से इस मुद्दे पर एकजुट होकर शिक्षकों के हित में आवाज उठाने की अपील की। उनका कहना था कि राजनीतिक फायदे से ऊपर उठकर उन लोगों की मदद करनी होगी, जो इस संकट से जूझ रहे हैं।


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