Top
Begin typing your search above and press return to search.

बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक सिर्फ कागजी सुधार : राघव चड्ढा

राज्यसभा में 'बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक-2024' पर चर्चा के दौरान आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि यह विधेयक जनता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता

बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक सिर्फ कागजी सुधार : राघव चड्ढा
X

नई दिल्ली। राज्यसभा में 'बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक-2024' पर चर्चा के दौरान आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि यह विधेयक जनता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता। यह बिल सिर्फ प्रक्रियात्मक सुधारों तक सीमित है और इसमें उन जमीनी मुद्दों को छुआ तक नहीं गया है, जिनसे आम नागरिक रोजाना दो-चार हो रहा है। बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक सिर्फ कागजी सुधार है। बैंक सिर्फ वित्तीय संस्थान नहीं, बल्कि लोकतंत्र की बुनियाद हैं।

राज्यसभा में अपनी बात रखते हुए उन्होंने कहा कि आम आदमी की बचत से लेकर किसानों के कर्ज, युवाओं की शिक्षा से लेकर बुजुर्गों की पेंशन तक, बैंकिंग व्यवस्था हर नागरिक की जिंदगी से जुड़ी है। लेकिन, हालात यह हैं कि बैंकिंग धोखाधड़ी, लोन रिकवरी की समस्याएं और कर्मचारियों पर बढ़ते दबाव के चलते यह व्यवस्था आम आदमी का भरोसा खो रही है। आज हालात ऐसे हैं कि लोग बैंकों पर भरोसा करने से डरने लगे हैं।

उन्होंने कहा कि आज देश में होम लोन की ब्याज दरें 8.5 प्रतिशत से 9 प्रतिशत और एजुकेशन लोन की दरें 13 प्रतिशत तक पहुंच चुकी हैं। इससे युवाओं के लिए घर खरीदना तो दूर, पढ़ाई करना तक भारी हो गया है। छात्र अभी कमाई शुरू भी नहीं कर पाते कि वे कर्ज में डूब जाते हैं। वहीं, एमएसएमई लोन पर 11 प्रतिशत तक ब्याज लिया जा रहा है, जिससे छोटे कारोबारियों के लिए व्यापार बढ़ाना मुश्किल होता जा रहा है।

उन्होंने अपने सुझाव में कहा कि सरकार को एजुकेशन और होम लोन पर ब्याज दर की अधिकतम सीमा तय करनी चाहिए। पहली बार घर खरीदने वालों को सब्सिडी वाली दरें मिलनी चाहिए और आरबीआई को छोटे व डिजिटल बैंकों को प्रोत्साहन देकर बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ानी चाहिए ताकि ब्याज दरें घटें।

राघव चड्ढा ने वरिष्ठ नागरिकों का मुद्दा उठाते हुए कहा कि फिक्स्ड डिपॉजिट की दर 6.5 प्रतिशत है, जबकि मुद्रास्फीति 7 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है। यानी बुजुर्गों की जीवनभर की पूंजी धीरे-धीरे खत्म हो रही है। सीनियर सिटिजंस के लिए न्यूनतम 8 प्रतिशत ब्याज दर सुनिश्चित की जाए, ताकि उनकी बचत महंगाई के आगे टिक सके। बैंकिंग सिस्टम आम आदमी का सबसे बड़ा सहारा होता है। किसान, मजदूर, नौकरीपेशा लोग, महिलाएं, सब अपनी मेहनत की कमाई बैंक में रखते हैं, इस उम्मीद के साथ कि जरूरत के समय मदद मिलेगी। लेकिन, अब यह भरोसा डगमगा रहा है।

उन्होंने कहा कि अगर बैंक न होता, तो किसान अपना पेट काटकर, पशुओं का दूध बेचकर बच्चों की पढ़ाई के लिए पैसे कहां जमा करता। बैंकों की वजह से ही देश के नागरिकों को यह भरोसा रहता है कि खून-पसीने की कमाई गाढ़े वक्त में काम आएगी। आज, बैंकिंग प्रणाली की गिरती विश्वसनीयता और पारदर्शिता की कमी ने लोगों को असुरक्षित बना दिया है।

उन्होंने डिजिटल बैंकिंग में बढ़ रहे खतरों पर कहा कि हर दिन कोई न कोई ठगी की खबर आती है। लोन फ्रॉड आज बैंकिंग व्यवस्था के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुका है। वित्तीय वर्ष 2024 में कुल 36,075 बैंकिंग फ्रॉड के केस सामने आए, जिनमें सबसे ज्यादा मामले डिजिटल पेमेंट और लोन फ्रॉड से जुड़े हुए थे।

एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए चड्ढा ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2024 में साइबर फ्रॉड से 2,054.6 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। जबकि, 2022-23 में भारत में 13,000 से अधिक बैंक-संबंधी साइबर धोखाधड़ी के मामले सामने आए, जिसमें 128 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ। वहीं, साइबर अपराधों के मामलों की संख्या 75,800 से बढ़कर 2,92,800 हो गई। यह बढ़ोतरी अपने आप में 300 फीसदी से ज्यादा की है। यूपीआई फ्रॉड में साल 2024 में 85 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it