Top
Begin typing your search above and press return to search.

अश्विनी वैष्णव ने देश में डिजिटल मीडिया के तेजी से विकास को स्वीकारा, भ्रामक-फर्जी खबरों के प्रसार पर चिंता जताई

मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है। यह जनमत को आकार देने, विकास को गति देने और सत्ता को जवाबदेह बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है

अश्विनी वैष्णव ने देश में डिजिटल मीडिया के तेजी से विकास को स्वीकारा, भ्रामक-फर्जी खबरों के प्रसार पर चिंता जताई
X

नई दिल्ली। मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है। यह जनमत को आकार देने, विकास को गति देने और सत्ता को जवाबदेह बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह लंबे समय से लोगों के हितों की रक्षा करने और पारदर्शिता को बढ़ावा देने में सबसे आगे रहा है।

समाज में स्वतंत्र और जिम्मेदार प्रेस की महत्वपूर्ण भूमिका के सम्मान में हर साल 16 नवंबर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस मनाया जाता है। भारतीय प्रेस परिषद ने राष्ट्रीय प्रेस दिवस 2024 के उपलक्ष्य में नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय मीडिया केंद्र में राष्ट्रीय प्रेस दिवस समारोह आयोजित किया। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस दिवस समारोह को संबोधित किया।

अश्विनी वैष्णव ने कहा कि समय के साथ मीडिया की धारणा बदली है। आज मीडिया के लिए सबसे बड़ी चुनौती जनता को सटीक, तथ्य-आधारित समाचार पेश करना है। मीडिया ने प्रेस की स्वतंत्रता के लिए लंबी लड़ाई लड़ी है। पहले ब्रिटिश शासन के दौरान और बाद में 1975 के आपातकाल के दौरान।

वैष्णव ने बताया कि भारत में 35 हजार दैनिक समाचार पत्र और एक हजार पंजीकृत समाचार चैनल हैं। समाचार अब डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से लाखों लोगों तक पहुंच रहे हैं, जिससे मीडिया की पहुंच बढ़ रही है।

केंद्रीय मंत्री ने भारत में डिजिटल मीडिया के तेजी से विकास को स्वीकार किया। लेकिन भ्रामक और फर्जी खबरों के प्रसार पर भी चिंता व्यक्त की, जो समाज और देश के लिए बड़ा खतरा हैं। उन्होंने कहा कि मीडिया का काम लोगों को शिक्षित करना और जागरूकता बढ़ाना है।

आज एक अहम मुद्दा यह है कि फर्जी खबरें फैलाने के लिए कौन जिम्मेदार है, इसकी पहचान की जाए। दूरदराज के गांवों में रहने वाले लोग भी मोबाइल फोन के जरिए देश और दुनिया की खबरों से अपडेट रहते हैं। इसलिए डिजिटल मीडिया को तथ्य आधारित कंटेंट देने पर ध्यान देना चाहिए।

इसके अलावा उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का उदय उन रचनाकारों के लिए नैतिक और आर्थिक चुनौतियां पेश करता है जिनके काम का उपयोग एआई मॉडलों को प्रशिक्षित करने के लिए किया जाता है। केंद्रीय मंत्री ने एआई में प्रगति के कारण रचनात्मक दुनिया में आ रही महत्वपूर्ण उथल-पुथल पर प्रकाश डाला। एआई सिस्टम द्वारा उत्पन्न चुनौतियों को चर्चा करते हुए उन्होंने मूल रचनाकारों के बौद्धिक संपदा (आईपी) अधिकारों की रक्षा करने की आवश्यकता पर जोर दिया। मंत्री ने सवाल किया, "आज एआई मॉडल उन विशाल डेटासेट के आधार पर रचनात्मक सामग्री तैयार कर सकते हैं, जिन पर उन्हें प्रशिक्षित किया जाता है। लेकिन उस डेटा में योगदान देने वाले मूल रचनाकारों के अधिकारों और मान्यता का क्या होता है? क्या उन्हें उनके काम के लिए मुआवजा या मान्यता दी जा रही है?" उन्होंने कहा, "यह सिर्फ़ आर्थिक मुद्दा नहीं है, यह एक नैतिक मुद्दा भी है।"


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it