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उत्तर प्रदेश के 'जनजाति भागीदारी उत्सव' में 22 राज्यों के कलाकारों को मिलेगा मंच

योगी सरकार ने 15 से 20 नवंबर तक अंतर्राष्ट्रीय जनजाति भागीदारी उत्सव मनाने का फैसला किया है

उत्तर प्रदेश के जनजाति भागीदारी उत्सव में 22 राज्यों के कलाकारों को मिलेगा मंच
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लखनऊ। योगी सरकार ने 15 से 20 नवंबर तक अंतर्राष्ट्रीय जनजाति भागीदारी उत्सव मनाने का फैसला किया है। बिरसा मुंडा की जयंती (जनजातीय गौरव दिवस) पर उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी में मेजबान राज्य समेत देश-विदेश के विभिन्न कलाकार अपनी-अपनी लोक संस्कृतियों की छटा बिखेरेंगे।

उत्तर प्रदेश के समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण ने बुधवार को बताया कि उद्घाटन समारोह के उपरांत 11 बजे से सांस्कृतिक समागम शोभायात्रा भी निकलेगी, जिसमें अनेक राज्यों के कलाकार शामिल होंगे। प्रतिदिन शाम पांच बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे। इसमें सहरिया, बुक्सा आदि जनजाति के लोक नृत्य का भी अवलोकन किया जा सकेगा। दूसरी तरफ जनजातीय लोक वाद्यों को भी मंच पर प्रदर्शन होगा। पोथी घर में लोग जनजाति साहित्य की पुस्तकों का भी अवलोकन कर सकेंगे।

आयोजन का शुभारंभ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करेंगे। इस दौरान उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी में मेजबान राज्य समेत देश-विदेश की लोक संस्कृति उतरेगी। इसमें स्लोवाकिया और वियतनाम के लोक कलाकारों द्वारा भी कार्यक्रम प्रस्तुत होगा।

असीम अरुण ने बताया कि 15 से 20 नवंबर तक 22 राज्यों के 38 लोक नृत्यों का संगम होगा। इसमें मेजबान उत्तर प्रदेश के डोमकच, झीझी, जवारा, नगमतिया, चंगेली नृत्य से दर्शक अवगत होंगे। बिहार के उरांव, उत्तराखंड के झैंता, मध्य प्रदेश के भगौरिया, बैगा, रमढोला, पश्चिम बंगाल के नटुआ, मिजोरम के चेरांव, अरुणचाल प्रदेश के अका, पंजाब के शम्मी, केरल के इरुला, छत्तीसगढ़ के गंडी, भुंजिया, माटी मांदरी नृत्य से भी उत्तर प्रदेश के दर्शक रू-ब-रू होंगे। हिमाचल प्रदेश के सिरमौरी नाटी, राजस्थान के कालबेलिया, लंगा, मागजिहार और तेराताली, असम के बरदोई और शिखला लोक नृत्य की प्रस्तुति भी उत्तर प्रदेश में होगी। त्रिपुरा के हौजागिरी, झारखंड के खड़िया, गोवा के कुनबी, गुजरात के सिद्धि धमाल, जम्मू-कश्मीर के मोंगो (बकरवाल), सिक्किम के सिंघी छम, महाराष्ट्र के सांघी मुखौटा, ओडिशा के घुड़का और कर्नाटक के फुगडी लोक नृत्य का संगम भी इस कार्यक्रम में होगा।

कार्यक्रम के दौरान, पोथी घर में भारत के जनजाति साहित्य से जुड़ी पुस्तकों के स्टॉल भी लगेंगे। इसमें देश के जनजातीय गीत, नृत्य, चित्रकला, संस्कार, खेल-कूद और रहन-सहन से संबंधित पुस्तकें बिक्री और प्रदर्शन के लिए उपलब्ध होंगी। लोग वहां के रहन-सहन, खान-पान, संस्कृति के बारे में भी जान सकेंगे। उत्सव के दौरान अनेक प्रांतों के लोकनृत्य/लोकगीतों से जुड़े कार्यक्रम अनवरत चलते रहेंगे। दोपहर 12 बजे से विमर्श भी होगा। आगामी 16 नवंबर को क्रांतिकारी बिरसा मुंडा का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान, 17 नवंबर को जनजाति शिक्षा एवं स्वास्थ्य - जागरुकता और समाधान पर विमर्श कार्यक्रम होगा। इसके बाद 18 नवंबर को 'लोकल से ग्लोबल तक' जनजातियों में उद्यमिता विकास की संभावनाएं तक विमर्श होगा। वहीं, 19 नवंबर को इसका विषय जनजाति विरासत संरक्षण एवं संवर्धन है। आखिरी दिन 20 नवंबर को जनजाति विकास में गैर-सरकारी संस्थाओं की भूमिका पर विमर्श होगा।

मध्य प्रदेश की टीम की तरफ से 19-20 नवंबर को जननायक बिरसा मुंडा के जीवन पर आधारित नाटक की प्रस्तुति होगी। इसमें 20 नवंबर को जनजाति कवि सम्मेलन का भी आयोजन किया जाएगा जिसमें घुमंतू जाति के कलाकार भी अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। जादू के भी कार्यक्रम होंगे। आयोजन में देसी व्यंजनों का स्वाद भी लोगों को आकर्षित करेगा।

कार्यक्रम में सिक्किम के जिग्मी भुतिया, महाराष्ट्र के छभीलदास गवली, राजस्थान की पूजा कामड़, छत्तीसगढ़ के सुरेंद्र सोरी, मध्य प्रदेश के मौजीलाल, उत्तर प्रदेश के चंगेली नृत्य पर बूटी बाई और टीम, राजस्थान के रावण हत्था पर सुगनाराम, और उत्तर प्रदेश के सैंड आर्ट को लेकर भास्कर विश्वकर्मा अपनी प्रस्तुति देंगे। बिहार के उरांव लोक नृत्य पर विश्वजीत सिंह और टीम, उत्तराखंड के जौनसारी लोक नृत्य पर दुर्गेश राणा और टीम, अरुणाचल प्रदेश के अका-अना की विधा पर मियाली सिडोसा और उनकी टीम, ओडिशा की घुड़का विधा पर वासुदेव साहा और टीम, और मध्य प्रदेश के जनजाति लोक वाद्यों का मंचीय प्रदर्शन संजू सेन बालोद और उनकी टीम करेगी। बिरसा मुंडा पर आधारित नाट्य प्रस्तुति राजकुमार रायकवार और उनकी टीम देगी।


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