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महाराष्ट्र चुनाव में हार के बाद कांग्रेस का ईवीएम पर सवाल, तथ्यों के साथ सोशल मीडिया पर सामने आई जानकारी

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार के बाद ईवीएम पर सवाल उठाना एक बार फिर से चर्चा का विषय बन गया है। कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया है कि चुनावों में गड़बड़ी और पारदर्शिता की कमी रही है। ऐसे में चुनाव की प्रक्रिया किन चरणों में गुजरती है, इस पर एक डाटा सामने आया है जो ईवीएम की पारदर्शिता को लेकर अहम तथ्यों पर प्रकाश डालता है

महाराष्ट्र चुनाव में हार के बाद कांग्रेस का ईवीएम पर सवाल, तथ्यों के साथ सोशल मीडिया पर सामने आई जानकारी
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नई दिल्ली। महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार के बाद ईवीएम पर सवाल उठाना एक बार फिर से चर्चा का विषय बन गया है। कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया है कि चुनावों में गड़बड़ी और पारदर्शिता की कमी रही है। ऐसे में चुनाव की प्रक्रिया किन चरणों में गुजरती है, इस पर एक डाटा सामने आया है जो ईवीएम की पारदर्शिता को लेकर अहम तथ्यों पर प्रकाश डालता है।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इंफोइंडाटा ने एक पोस्ट शेयर कर लिखा, "महाराष्ट्र में एक बार फिर करारी हार का सामना करने के बाद कांग्रेस फिर से भारत की चुनावी प्रक्रिया पर संदेह जता रही है। हालांकि, तथ्य और प्रक्रिया कुछ और ही कहानी बयां करती है।"

इनफोइनडाटा ने इस पोस्ट के साथ चुनावी प्रक्रिया के बारे में इंफोग्राफिक्स के जरिए जानकारी भी शेयर की है।

पोस्टर में चुनावी प्रक्रिया में 'चेक्स और बैलेंस' यानी जांच और संतुलन के उपायों का विवरण दिया गया है, जो यह सुनिश्चित करते हैं कि चुनाव निष्पक्ष और ईमानदार तरीके से हों।

इंफोग्राफिक्स के अनुसार, वीवीपैट-ईवीएम (वोटर वेरीफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल-इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) यूनिट्स की जांच, रैंडमाइजेशन और अन्य तकनीकी कार्यों के दौरान छह बार सभी पार्टी प्रतिनिधि मौजूद रहते हैं। इससे यह सुनिश्चित होता है कि चुनाव प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी है और सभी दलों को इसमें बराबरी का अवसर मिलता है।

इसके अलावा, चुनाव के विभिन्न तकनीकी चरणों में, जैसे ईवीएम की सील पर विभिन्न चरणों में पांच बार उम्मीदवार या उनके प्रतिनिधि हस्ताक्षर करते हैं। यह सील ईवीएम को लॉक करने का काम करती है। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि ईवीएम पूरी तरह से सुरक्षित और सही तरीके से सील किए गए हैं, और इन मशीनों में किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं की गई है।

इसके साथ-साथ चुनाव आयोग के अधिकारियों द्वारा तीन बार वीवीपैट-ईवीएम यूनिट्स की जांच की जाती है और इन यूनिट्स पर आयोग के अधिकारियों के हस्ताक्षर होते हैं। इसके बाद, यह यूनिट्स राजनीतिक दलों के साथ साझा की जाती हैं, जिनमें 100 फीसदी जांच की गई ईवीएम की सूची भी शामिल होती है। यह कदम यह सुनिश्चित करता है कि चुनावी प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी और निष्पक्ष है, और सभी दलों को मशीनों की जांच का पूरा विवरण मिलता है।


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