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ओवैसी के योगी पर हमले के बाद भाजपा ने किया पलटवार, उर्दू को लेकर बढ़ा विवाद

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर हमला बोलते हुए कहा, "योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में उर्दू भाषा को लेकर बयान दिया था कि उर्दू पढ़ने से साइंटिस्ट नहीं, बल्कि कठमुल्ला बनते हैं

ओवैसी के योगी पर हमले के बाद भाजपा ने किया पलटवार, उर्दू को लेकर बढ़ा विवाद
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लखनऊ। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर हमला बोलते हुए कहा, "योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में उर्दू भाषा को लेकर बयान दिया था कि उर्दू पढ़ने से साइंटिस्ट नहीं, बल्कि कठमुल्ला बनते हैं। लेकिन योगी आदित्यनाथ के पूर्वजों में से किसी ने भी स्वतंत्रता संग्राम में भाग नहीं लिया।" इस बयान के बाद भाजपा ने ओवैसी पर पलटवार किया है।

भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने ओवैसी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "योगी आदित्यनाथ किसी भी भाषा के विरोधी नहीं हैं। उर्दू भाषा को लेकर उनका कोई विरोध नहीं है। उनका कहना था कि सिर्फ एक भाषा पढ़ने से समाज का विकास नहीं हो सकता। हर किसी को सभी प्रकार की भाषाओं और विषयों का ज्ञान होना चाहिए, जैसे कि गणित, विज्ञान, भौतिकी, रसायन, अंग्रेजी, संस्कृत, आदि।" उन्होंने आगे कहा, "ओवैसी चाहते हैं कि लोग सिर्फ एक संकीर्ण विचारधारा को अपनाकर आगे बढ़ें, जो समाज में असमानता पैदा करता है।"

राकेश त्रिपाठी ने यह भी कहा, "योगी जी का कहना है कि एक हाथ में कुरान और दूसरे हाथ में कंप्यूटर होना चाहिए, जिससे समाज का विकास हो सके। ओवैसी जानबूझकर लोगों को संकीर्ण सोच में जकड़े रखना चाहते हैं और उन्हें आधुनिकता से दूर रखना चाहते हैं। उनका उद्देश्य केवल एक भाषा और एक विचारधारा को बढ़ावा देना है, जबकि मोदी सरकार का उद्देश्य समग्र शिक्षा और समावेशिता को बढ़ावा देना है।"

भाजपा प्रवक्ता ने यह भी कहा कि ओवैसी की टिप्पणियां समाज को विभाजित करने वाली हैं और उनका यह रवैया देश की प्रगति में बाधा डालता है।

बता दें कि ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, 'योगी आदित्यनाथ का कहना है कि उर्दू पढ़ने से लोग वैज्ञानिक नहीं, बल्कि कट्टरपंथी बनते हैं। मगर योगी के पूर्वजों में से किसी ने स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा नहीं लिया। योगी ने खुद उर्दू नहीं पढ़ी, तो फिर वे वैज्ञानिक क्यों नहीं बने? यह बात आरएसएस के लिए भी है कि आर्य भी बाहर से आए थे। अगर कोई मूल रूप से यहां का है, तो वे केवल आदिवासी और द्रविड़ ही हैं।'


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