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गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए स्वस्थ मन और स्वस्थ तन बहुत आवश्यक : राज्यपाल

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में सोमवार को सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु की समीक्षा बैठक संपन्न हुई

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए स्वस्थ मन और स्वस्थ तन बहुत आवश्यक : राज्यपाल
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में सोमवार को सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु की समीक्षा बैठक संपन्न हुई। इस दौरान उन्होंने कहा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए स्वस्थ मन और स्वस्थ शरीर बहुत आवश्यक है। इसको ध्यान में रखते हुए शिक्षण संस्थानों में पढ़ रहे विद्यार्थियों एवं शिक्षकों के स्वास्थ्य जागरूकता के कार्यक्रम निरंतर संचालित किए जाने चाहिए।

राज्यपाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात का उल्लेख करते हुए मोटापा से होने वाली विभिन्न प्रकार की बीमारियों विशेष रूप से विद्यार्थियों में और शिक्षकों में इस विकार से बचने के उपायों पर बल दिया। इसके साथ-साथ छात्राओं के हीमोग्लोबिन की कमी और एनीमिया से बचाव के प्रति भी उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को आगे बढ़कर स्वास्थ्य से संबंधित कार्यक्रम को करने चाहिए। विश्वविद्यालय स्थित नैमिभाषज्य स्वास्थ्य केंद्र में विशेषज्ञ डॉक्टरों की सेवाएं सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों के साथ संपर्क करके किया जाना चाहिए।

उन्होंने विद्यालय में छात्रों की संख्या को और अधिक बढ़ाने के लिए उन्होंने सुझाव दिया कि विश्वविद्यालय अपने स्तर पर यह जानकारी प्राप्त करें कि प्रत्येक गांव से अधिक से अधिक विद्यार्थी विश्वविद्यालय में पढ़ने आएं। इसके साथ ही ऐसे गांवों को चिन्हित करने पर बल दिया, जहां एक भी विद्यार्थी विश्वविद्यालय में प्रवेश न लिए हो, इसकी जानकारी प्राप्त करके ऐसे गांव में और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है।

आसपास के गांव के विद्यार्थियों को यह जानकारी दी जानी चाहिए कि विश्वविद्यालय में कला, वाणिज्य के साथ विज्ञान की भी शिक्षा की गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई हो रही है। विश्वविद्यालय अध्ययन यहां के आसपास के विद्यार्थियों के लिए बहुत ही लाभकारी साबित होगी। इसलिए शिक्षकों की टीम बनाकर आसपास के इंटर कॉलेज में संपर्क किया जाना आवश्यक है। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय की स्थापना का उद्देश्य ही है कि ग्रामीण परिवेश के विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के सभी शोपानों का उनको ज्ञान कराया जाए। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से विद्यार्थी अपने भविष्य को बना सकें।

कुलाधिपति ने विश्वविद्यालय द्वारा उद्यमियों के साथ संपर्क और विश्वविद्यालय के साथ उनके जुड़ाव की सराहना करते हुए कहा कि उद्योग जगत के प्रमुख लोगों को विश्वविद्यालय के कार्य परिषद का सदस्य बनाया जाना चाहिए। विश्वविद्यालय के साथ उद्यमियों को जोड़कर यहां के विद्यार्थियों को रोजगार के अनेक अवसरों के साथ जोड़ा जाना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

इसके अलावा उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय भारत नेपाल सीमा पर स्थित है इसलिए विदेशी विशेष रूप से नेपाली छात्रों को और आकर्षित किया जाना आवश्यक एवं महत्वपूर्ण है।

विश्वविद्यालय में निर्माण कार्यों के बारे में भी उन्होंने जानकारी प्राप्त की तथा उससे संबंधित महत्वपूर्ण सुझाव दिया। इसके अलावा राजभवन और शासन द्वारा समय-समय पर विश्वविद्यालय में कराए जाने वाले कार्यक्रमों का उल्लेख किया तथा यह सुझाव दिया कि इन कार्यक्रमों के पीछे शासन और राजभवन का बहुत स्पष्ट उद्देश्य है कि अधिक से अधिक विद्यार्थियों को ऐसे कार्यक्रमों में सम्मिलित किया जाए। यदि अधिक विद्यार्थी दहेज उन्मूलन और नशा मुक्ति के संबंध में शपथ लेते हैं और मंचन करते है तो विद्यार्थियों के साथ उसके परिवारजन भी जागरूक होंगे और समाज में इन कुरीतियों को समाप्त करने का एक महत्वपूर्ण अवसर यहां के विद्यार्थी और इस शिक्षण संस्थान के द्वारा संपन्न हो सकेगा।

इसके साथ-साथ उन्होंने राज भवन द्वारा निर्देशित विद्यार्थियों की साइकिल जागरूकता यात्रा के बारे में भी कहा कि इसे और व्यापक एवं प्रभावी बनाने की आवश्यकता है। विद्यार्थियों के खेल आयोजनों की भी उन्होंने समीक्षा करते हुए कहा कि न केवल क्रिकेट, वॉलीबॉल, फुटबॉल अपितु एथलेटिक्स जैसे दौड़, ऊंची कूद, लंबी कूद इत्यादि खेलों को भी प्रोत्साहित करने की बात कही।

उन्होंने क्रीड़ा मैदान को और भी व्यवस्थित और खेल के अनुकूल और गुणवत्ता लाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि आजकल मोबाइल के अत्यधिक उपयोग के कारण विद्यार्थी और शिक्षकों में किताब पढ़ने की आदत कम होती जा रही है इसलिए राजभवन और शासन ने पढ़े विश्वविद्यालय बढ़े पढ़े महाविद्यालय बढ़े महाविद्यालय का कार्यक्रम निर्देशित किया था। इसमें और संख्या जोड़ी जानी चाहिए। ऐसे कार्यक्रमों को व्यापक स्वरूप में करने के लिए विश्वविद्यालय कार्यक्रमों के लिए अलग-अलग कमेटी बनाकर उसको और व्यवस्थित ढंग से संचालित कर सकता है। इस संबंध में भी उन्होंने दिशा निर्देश और मार्गदर्शन विश्वविद्यालय को दिया।


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