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प्रदेश के किसानों की फसल निर्यात के लिए एपिडा की तर्ज पर होगा बोर्ड का गठन:  शिवराज

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि प्रदेश के किसानों की फसल निर्यात के लिए एपिडा की तर्ज पर प्रदेश में बोर्ड का गठन किया जाएगा

प्रदेश के किसानों की फसल निर्यात के लिए एपिडा की तर्ज पर होगा बोर्ड का गठन:  शिवराज
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जबलपुर। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि प्रदेश के किसानों की फसल निर्यात के लिए एपिडा (एग्रीकल्चर एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डिपार्टमेंट अथॉरिटी) की तर्ज पर प्रदेश में बोर्ड का गठन किया जाएगा।



चौहान ने जबलपुर में कृषक समृद्घि योजना के तहत आयोजित राज्यस्तरीय किसान महासम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, "राज्य सरकार ग्रीष्मकालीन उड़द भी समर्थन मूल्य पर खरीदेगी। उड़द उत्पादक किसान कृषक समृद्घि योजना में अपना पंजीयन कराएं, ताकि उन्हें भी योजना का समय पर लाभ मिल सके।"

मुख्यमंत्री चौहान ने आगे कहा कि खेती का विकास और किसान का कल्याण राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। खेतिहर परिवारों के बेटा-बेटी कृषि आधारित उद्योग-धंधे स्थापित करें। राज्य सरकार उन्हें 10 लाख से दो करोड़ रुपये तक कर्ज उपलब्ध करवाएगी। इस कर्ज की गारंटी भी राज्य सरकार लेगी।

चौहान ने कहा, "मध्यप्रदेश में लॉजिस्टिक हब और फूड चेन बनाई जाएगी। कच्चे माल के प्रसंस्करण की व्यवस्था की जाएगी और किसानों के बच्चों की शिक्षा संस्थानों की फीस भी राज्य सरकार भरेगी। आवश्यकतानुसार किसान परिवार के सदस्यों का प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराने की पूरी व्यवस्था की जाएगी। किसानों को बिजली बिलों की परेशानी से राहत देने के लिए जुलाई माह में बड़े पैमाने पर शिविर लगाए जाएंगे।"

उन्होंने बताया कि किसान परिवार के बच्चों को भी शिक्षा विभाग की लैपटॉप योजना का लाभ दिया जाएगा। राज्य सरकार चाहती है कि प्रदेश के बच्चे खूब पढ़ें, आगे बढ़ें और नया मध्यप्रदेश गढ़ें।

राज्यस्तरीय किसान सम्मेलन में मुख्यमंत्री चौहान ने कहा, "एक जमाना था, जब प्रदेश के किसान बिजली, सिंचाई, बैंक के कर्ज और सड़क की बदहाली के कारण चैन से खेती नहीं कर पाते थे। आज स्थिति बिल्कुल अलग है। किसान को अब बैंक ऋण पर भारी ब्याज नहीं देना पड़ता है। जीरो प्रतिशत ब्याज पर बैंक से ऋण लेकर किसान खेती कर रहे हैं।"

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के माध्यम से ग्रामीण शहरों से जुड़ गए हैं। फसल बीमा योजना और सूखा राहत राशि की बड़े पैमाने पर व्यवस्था से किसान निश्चिंत होकर खेती को लाभ का धंधा बनाने में जुट गए हैं।


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