राज्य सरकार ने राजस्थान संशोधन अध्यादेश किया जारी
राज्य सरकार ने दण्ड़ प्रक्रिया संहिता, 1973 और भारतीय दण्ड संहिता, 1860 में संशोधन के लिए (राजस्थान संशोधन) अध्यादेश 2017 जारी किया है
जयपुर। राज्य सरकार ने दण्ड़ प्रक्रिया संहिता, 1973 और भारतीय दण्ड संहिता, 1860 में संशोधन के लिए (राजस्थान संशोधन) अध्यादेश 2017 जारी किया है।
दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 में संशोधन के अनुसार ऐसे किसी व्यक्ति के विरूद्ध, जो अपने पदीय कर्तव्यों के निर्वहन में कार्य करते समय या कार्य करने के लिए तात्पर्यित उनके द्वारा किये गये किसी कार्य के संबंध में तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अधीन यथा-परिभाषित कोई न्यायाधीश या कोई मजिस्ट्रेट या कोई लोक सेवक है था, दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का अधिनियम सं. 2) की धारा 197 के अधीन या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अधीन पूर्व मंजूरी के सिवाय, किसी अन्वेषण का आदेश नहीं देगा और न ही उसके विरूद्ध कोई अन्वेषण संचालित किया जायेगा।
अध्यादेश के अनुसार मंजूरी प्राधिकारी सामान्यतः मंजूरी के लिए प्रस्ताव की प्राप्ति की दिनांक से एक सौ अस्सी दिवस के अन्दर विनिश्चय करेगा।
यदि वह इन दिवसों के भीतर अभियोजन मंजूरी जारी करने में असफल रहता है तो अभियोजन मंजूरी दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का अधिनियम सं. 2) की धारा 197 के अधीन या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अधीन, जारी की हुई समझी जायेगी।
अध्यादेश में बताया गया है कि कोई भी व्यक्ति ऐसे किसी न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट या किसी लोक सेवक, जिसके विरूद्ध इस धारा के अधीन कोई कार्यवाही लम्बित है, का नाम, पता, फोटो, कुटुम्ब के ब्यौरे या अन्य कोई विशिष्टियां, जो उसकी पहचान का प्रकटीकरण करें, किसी भी रीति से मुद्रित या प्रकाशित या प्रचारित नहीं करेगा, जब तक कि यथापूर्वोक्त मंजूरी जारी न की गयी हो या जारी की गयी न समझी गयी हो।
अध्यादेश के अनुसार जो कोई भी व्यक्ति लोक सेवकों की पहचान प्रकट करने का कार्य करता है, उस पर दो वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना लगाया जा सकेगा।


