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राज्य के पास विधान परिषद खत्म करने की शक्ति नहीं : तेदेपा

आंध्र प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) ने सोमवार को कहा कि राज्य सरकार या विधानसभा के पास विधान परिषद को खत्म करने की कोई शक्ति नहीं है और यह निर्णय केंद्र पर निर्भर करेगा।

राज्य के पास विधान परिषद खत्म करने की शक्ति नहीं : तेदेपा
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अमरावती | आंध्र प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) ने सोमवार को कहा कि राज्य सरकार या विधानसभा के पास विधान परिषद को खत्म करने की कोई शक्ति नहीं है और यह निर्णय केंद्र पर निर्भर करेगा। तेदेपा ने विधानसभा सत्र से दूर रहने का फैसला किया है। पार्टी ने कहा कि प्रस्ताव कैबिनेट में पारित किया गया और परिषद में पेश किया है, जोकि महज एक प्रस्ताव है।

राज्य की विधान परिषद में तेदेपा नेता और पूर्व मंत्री वाई. रामकृष्णुडू ने संवाददाताओं से कहा, "अगर विधानसभा ने प्रस्ताव पारित कर दिया है तो भी यह महज प्रस्ताव ही होगा। केवल संसद को ही परिषद को खत्म करने का अधिकार है।"

उन्होंने परिषद को समाप्त करने के वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के फैसले को सबसे अलोकतांत्रिक और अवैध कदम करार दिया।

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार यह केवल इसलिए कर रही है, क्योंकि उसके पास उच्च सदन में बहुमत का अभाव है और परिषद के अध्यक्ष ने तीन राजधानियों के विधेयक को एक प्रवर (सेलेक्ट) समिति को भेज दिया है।

रामकृष्णुडू ने कहा कि परिषद को समाप्त करने की प्रक्रिया लंबी होगी। उन्होंने कहा, "राज्य विधानसभा द्वारा पारित प्रस्ताव को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जाना है और फिर कानून मंत्रालय एक मसौदा विधेयक तैयार करेगा, जिसे संसद द्वारा पारित किया जाना है।"

वरिष्ठ नेता ने कहा कि इस पूरी प्रक्रिया में कम से कम दो साल लग सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह केंद्र में सत्ताधारी पार्टी पर निर्भर करेगा। उन्होंने कहा, "जब तक राष्ट्रपति एक अधिसूचना जारी नहीं कर देते, तब तक विधान परिषद लाइव होगी।"

58 सदस्यीय परिषद में बहुमत वाली तेदेपा के कदम का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी ने अन्याय के खिलाफ भी लड़ाई लड़ी और इसने राज्य के हितों की रक्षा करने का काम किया।

दरअसल, तेदेपा की मांग को स्वीकार करते हुए परिषद के अध्यक्ष ने पिछले हफ्ते विधेयकों को एक चयन समिति को भेजा था, जिसमें सत्तारूढ़ पार्टी के ने विरोध जताया था। आरोप लगाया गया कि तेदेपा ने अध्यक्ष पर विधेयकों को रोकने के लिए दबाव डाला।

सत्ताधारी दल अमरावती के साथ ही विशाखापट्टनम और कुरनूल को भी राज्य की राजधानी बनाना चाहता है, जिसका तेदेपा विरोध कर रही है। सत्ता पक्ष ने इसी उद्देश्य से विधेयक पेश किया, जिसे 20 जनवरी को विधानसभा में पारित किया गया था।


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