शाहीन बाग में 'बाग-ए-शाहीन' विद्यालय की शुरुआत
सीएए और एनआरसी के विरोध का केंद्र बन चुके शाहीन बाग में बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो, इसके लिए 'बाग-ए-शाहीन' नामक एक विद्यालय की शुरुआत की गई है।

नई दिल्ली | नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के विरोध का केंद्र बन चुके शाहीन बाग में बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो, इसके लिए 'बाग-ए-शाहीन' नामक एक विद्यालय की शुरुआत की गई है। करीब दो महीने से चल रहे विरोध प्रदर्शन में पुरुषों-महिलाओं के साथ ही बच्चों की भी अच्छी खासी-संख्या यहां देखी जा सकती है। इस बात को ध्यान में रखकर प्रदर्शनकारियों ने ज्ञान वृद्धि को लेकर स्वयं यह निर्णय लिया। बच्चों को यहां पढ़ा रही एक अध्यापिका ने इस बात की जानकारी दी।
बच्चों को पढ़ा रहीं जून ने कहा, "बाग-ए-शाहीन में 40 से 50 बच्चे आते हैं। यहां उन्हें बेसिक शिक्षा दी जाती है। यहां स्कूल लगाने का मकसद अच्छी तालीम देना है और यहां चार साल से लेकर 100 साल तक के बीच किसी भी उम्र के लोग आ सकते हैं। विद्यालय 11 बजे से लेकर शाम चार बजे तक लगता है और बच्चे इच्छा अनुसार अध्ययन कर सकते हैं।"
जून ने कहा कि विद्यालय को तीन दिन हो चुके हैं और यहां कुल चार शिक्षक हैं, जो पठन-पाठन के साथ इस बात का ध्यान रखते हैं कि आंदोलन के बीच बच्चे कुछ गलत देख सुनकर भटक न जाएं। उन्होंने कहा, "पढ़ाई से इतर बच्चों के यदि कोई सवाल होते हैं तो वे हमसे पूछ सकते हैं, जिसका उन्हें उत्तर दिया जाता है।"
जून ने कहा, "पहले दिन 40 बच्चे थे, लेकिन अब धीरे-धीरे और आने शुरू हो गए हैं। यहां सुबह राष्ट्रगान के साथ ही कविता पाठ कराया जाता है।"


