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सरकारी कार्यालयों में एसटी का मात्र 6 फीसदी प्रतिनिधित्व : तृणमूल सांसद

तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अबीर रंजन विश्वास ने मंगलवार को कहा कि देश में सरकारी कार्यालयों में अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लोगों का प्रतिनिधित्व सिर्फ 6 फीसदी है

सरकारी कार्यालयों में एसटी का मात्र 6 फीसदी प्रतिनिधित्व : तृणमूल सांसद
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नई दिल्ली। तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अबीर रंजन विश्वास ने मंगलवार को कहा कि देश में सरकारी कार्यालयों में अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लोगों का प्रतिनिधित्व सिर्फ 6 फीसदी है। बिस्वास ने जनजातीय मामलों के मंत्रालय के कामकाज पर उच्च सदन में एक बहस में भाग लेते हुए कहा कि एसटी आबादी को संवैधानिक गारंटी के बावजूद हम एक देश के रूप में एसटी आबादी को समायोजित करने में विफल रहे हैं।

उन गांवों के बारे में मंत्रालय के आंकड़ों का जिक्र करते हुए, जहां अनुसूचित जनजाति की आबादी 25 फीसदी से अधिक है, तृणमूल सांसद ने कहा कि यह जानकर हैरानी होती है कि इनमें से केवल 9 फीसदी गांवों में ही बैंक है, केवल 24 फीसदी में स्वास्थ्य केंद्र है और केवल इनमें से 50 फीसदी के पास नल के पानी का कनेक्शन है।

यह देखते हुए कि एसटी देश की कुल आबादी का 8.6 प्रतिशत है, माकपा सदस्य वी. शिवदासन ने मांग की कि एसटी के लिए कुल बजट आवंटन का 8.6 प्रतिशत आवंटित किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि सरकार ने 2022-23 के केंद्रीय बजट में एसटी को कुल खर्च का केवल 2.26 प्रतिशत आवंटित किया है।

बहस में शामिल होते हुए द्रमुक सांसद कनिमोझी ने कहा कि हाशिए के समुदायों के कई छात्रों को स्कूलों से बाहर रहने और महामारी के दौरान वन-आधारित और स्थानीय आजीविका में अपने माता-पिता का समर्थन करने के लिए मजबूर किया गया है।

उन्होंने सरकार से पूछा कि क्या उसने स्थिति का आकलन किया है?

उन्होंने आगे कहा कि माध्यमिक शिक्षा के लिए लड़कियों के लिए प्रोत्साहन की एक राष्ट्रीय योजना (एनएसआईजीएसई), जो 2008 में माध्यमिक विद्यालयों में एससी और एसटी लड़कियों के नामांकन को बढ़ावा देने और छोड़ने वालों को कम करने के लिए शुरू की गई थी, उसे बंद कर दिया गया है।


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