श्रीलंका पुलिस ने ड्रग्स की समस्या से निपटने के लिए स्कूलों में औचक निरीक्षण किया
श्रीलंका पुलिस ने स्कूली बच्चों द्वारा नशीली दवाओं के उपयोग की समस्या से निपटने के लिए स्कूलों का औचक निरीक्षण किया

कोलंबो। श्रीलंका पुलिस ने स्कूली बच्चों द्वारा नशीली दवाओं के उपयोग की समस्या से निपटने के लिए स्कूलों का औचक निरीक्षण किया। कार्रवाई जारी रखने के लिए राष्ट्रपति टास्क फोर्स की स्थापना की जाएगी।
राष्ट्रपति कार्यालय ने जहरीली और खतरनाक दवाओं के तेजी से प्रसार के खिलाफ कार्रवाई करने और नशे के आदी लोगों के पुनर्वास के लिए टास्क फोर्स बनाने के लिए न्याय और जेल मंत्रालय व सार्वजनिक सुरक्षा मंत्रालय से हाथ मिलाया है।
राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा, "टास्क फोर्स विशेष रूप से बच्चों को नशीली दवाओं के खतरे से बचाने के लिए तेजी से कार्रवाई करने पर ध्यान केंद्रित करेगी, जिसका उद्देश्य खतरनाक और मादक दवाओं के उपयोग की रोकथाम के लिए उचित व्यावहारिक उपायों की पहचान करना, योजना बनाना और उन्हें लागू करना है।"
इस खतरनाक खोज के बाद कि 40,000 से अधिक स्कूली छात्र नशीले पदार्थो के आदी हैं, पुलिस और शिक्षा अधिकारियों ने हर सुबह स्कूल परिसर, बैग और स्कूल बसों की तलाशी शुरू कर दी है। पुलिस ने कहा कि पश्चिमी प्रांत के एक स्कूल कैंटीन से क्रिस्टल मेथामफेटामाइन, जिसे 'आइस' के रूप में जाना जाता है, की हाल ही में बरामदगी के बाद देशभर में स्निफर डॉग्स का उपयोग करते हुए पुलिस की नार्कोटिक यूनिट ज्यादातर स्कूलों में औचक निरीक्षण कर रही है।
पुलिस नार्कोटिक ब्यूरो (पीएनबी) के अनुसार, स्कूल के आसपास मिठाई और टॉफी बांटकर स्कूली बच्चों को कई तरह के नशीले पदार्थो के आदी बनाने की कोशिश की गई है और जांच में पता चला है कि बच्चे पैसे चुराते हैं और विभिन्न स्थानों पर इकट्ठा होकर ड्रग्स का सेवन करते हैं।
शिक्षा मंत्री सुशील प्रेमजयंता ने पिछले सप्ताह घोषणा की थी कि स्कूल जाने वाले 80 से अधिक बच्चों को हाल ही में नशीली दवाओं का उपयोग करते पकड़ा गया है और उन्हें पुनर्वास पर भेजा गया है।
पीएनबी के रिकॉर्ड के अनुसार, श्रीलंका में लगभग 500,000 लोग नशीले पदार्थो के आदी हैं और उनमें से 75 प्रतिशत से अधिक 14 से 30 वर्ष आयु वर्ग के बीच के हैं।


