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टेबल टेनिस : ओलंपिक में छा गया, कभी शैंपेन के कॉर्क से खेला गया गेम

टेबल टेनिस फुर्ती, एकाग्रता और सटीक नियंत्रण का एक इनडोर खेल है। क्या आप जानते हैं कि एक दौर था, जब इसे शैंपेन के कॉर्क से खेला जाता था

टेबल टेनिस : ओलंपिक में छा गया, कभी शैंपेन के कॉर्क से खेला गया गेम
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नई दिल्ली। टेबल टेनिस फुर्ती, एकाग्रता और सटीक नियंत्रण का एक इनडोर खेल है। क्या आप जानते हैं कि एक दौर था, जब इसे शैंपेन के कॉर्क से खेला जाता था। इस खेल को उच्च वर्ग के लोगों ने 'लॉन टेनिस' के विकल्प के रूप में शुरू किया था।

साल 1880 में इंग्लैंड में जब इस खेल का आविष्कार हुआ, तो इसे मनोरंजन के तौर पर डिनर के बाद खेला जाता था। उस दौर में इसके लिए न तो ठीक-ठाक टेबल होती थी, और न ही रैकेट।

आज के दौर में भले ही टेबल टेनिस पूरे उपकरणों के साथ खेला जाता है, लेकिन शुरुआती दौर में इसे घर में उपलब्ध सामान की मदद से ही खेला जाता था।

किताबों को एक पंक्ति में खड़ा कर दिया जाता, जो नेट के रूप में काम करतीं। शैंपेन के कॉर्क का ऊपरी गोल हिस्सा गेंद के तौर पर काम में लाया जाता था। सिगार बॉक्स के ढक्कन को रैकेट के तौर पर इस्तेमाल किया जाता। हालांकि, धीरे-धीरे इसके उपकरणों में बदलाव होने लगे।

साल 1926 में बर्लिन और लंदन में कुछ बैठकों का आयोजन हुआ, जिसके बाद इंटरनेशनल टेबल टेनिस फेडरेशन का गठन हुआ। इसी साल लंदन में पहली विश्व चैंपियनशिप का आयोजन किया गया, लेकिन इस खेल को ओलंपिक में शामिल करने में 62 साल का समय लगा।

1950 के दशक में टेबल टेनिस एशियाई देशों में लोकप्रिय खेल बन गया था। 1954 से 1959 के बीच विश्व टीम चैंपियनशिप में जापानियों ने इसमें शानदार प्रदर्शन किया। 60 के दशक में इस खेल में चीनी वर्चस्व की शुरुआत हुई। आखिरकार, 1988 सोल ओलंपिक में पहली बार टेबल टेनिस को शामिल किया गया।

टेबल टेनिस के प्रत्येक गेम में दो प्वाइंट्स के अंतर के साथ शुरुआती 11 प्वाइंट्स हासिल करने वाला खिलाड़ी विजेता माना जाता है। खेल तब तक जारी रहता है, जब तक किसी एक खिलाड़ी के पास 2 प्वाइंट की बढ़त न हो।

टेबल टेनिस के नियम प्रत्येक टूर्नामेंट के हिसाब से बदल सकते हैं। प्रतियोगिता के आधार पर स्कोरिंग के नियम में भी बदलाव देखने को मिल सकता है। हालांकि, आमतौर पर खिलाड़ियों के बीच 'बेस्ट ऑफ फाइव' या फिर 'बेस्ट ऑफ सेवन' गेम होता है।

एक दौर था, जब टेबल टेनिस के खेल पर चीन का प्रभुत्व नजर आता था, लेकिन आज के वक्त में भारत भी इस खेल में तेजी से उभर रहा है। अचंता शरत कमल, मनिका बत्रा, श्रीजा अकुला और हरमीत देसाई जैसे खिलाड़ियों ने इस खेल में भारत का परचम बुलंद किया है।

भारतीय खिलाड़ियों ने ओलंपिक, कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स में उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है। अब भारत इस खेल में एशिया और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी राष्ट्रों में गिना जाने लगा है।


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