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आस्ट्रेलिया के पूर्व तेज गेंदबाज ब्रेट ली बोले, विकेट लेने से ज्यादा मेरे लिए बॉल की गति ज्यादा मायने रखती थी

ब्रेट ली ने अपने करियर को लेकर बहुत छोटी उम्र में ही स्पष्ट सोच बना ली थी। जब अन्य बच्चे रन और विकेट के सपने देखते थे, तब ली की निगाह सिर्फ रफ्तार पर थी।

आस्ट्रेलिया के पूर्व तेज गेंदबाज ब्रेट ली बोले, विकेट लेने से ज्यादा मेरे लिए बॉल की गति ज्यादा मायने रखती थी
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मेलबर्न : ऑस्ट्रेलिया के पूर्व दिग्गज तेज गेंदबाज ब्रेट ली को दुनिया क्रिकेट इतिहास के सबसे खतरनाक और तेज गेंदबाजों में गिना जाता है। उनकी गेंदों की रफ्तार ने न सिर्फ बल्लेबाजों के लिए मुश्किलें खड़ी कीं, बल्कि तेज गेंदबाजी की परिभाषा को भी नए सिरे से गढ़ा। ब्रेट ली का जुनून इस कदर गहरा था कि उन्होंने महज नौ साल की उम्र में ही यह लक्ष्य तय कर लिया था कि वह एक दिन 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी करेंगे। उनके लिए यह सपना किसी भी व्यक्तिगत रिकॉर्ड या बड़े बल्लेबाज का विकेट लेने से कहीं ज्यादा अहम था।

बचपन में तय किया था रफ्तार का लक्ष्य
ब्रेट ली ने अपने करियर को लेकर बहुत छोटी उम्र में ही स्पष्ट सोच बना ली थी। जब अन्य बच्चे रन और विकेट के सपने देखते थे, तब ली की निगाह सिर्फ रफ्तार पर थी। उन्होंने खुद स्वीकार किया है कि जब तक वह 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार को हासिल नहीं कर लेते, तब तक कोई भी व्यक्तिगत उपलब्धि उनके लिए मायने नहीं रखती थी। यही कारण था कि उन्होंने अपने जीवन का बड़ा हिस्सा इसी लक्ष्य को पाने के लिए समर्पित कर दिया।

2003 वर्ल्ड कप में पूरा हुआ सपना
ब्रेट ली ने अपने करियर में दो बार 160 किमी प्रति घंटे से अधिक की रफ्तार से गेंदबाजी की। पहली बार यह कारनामा उन्होंने 2003 में दक्षिण अफ्रीका में खेले गए विश्व कप के दौरान किया। सेमीफाइनल मुकाबले में उन्होंने श्रीलंका के अनुभवी बल्लेबाज मार्वन अटापट्टू को 160.1 किमी प्रति घंटे की रफ्तार वाली गेंद पर आउट किया। यह गेंद क्रिकेट इतिहास में रफ्तार का प्रतीक बन गई और ली का नाम हमेशा के लिए तेज गेंदबाजों की सूची में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो गया।

मां से मिला रफ्तार का उपहार
49 वर्षीय ब्रेट ली, जिन्हें हाल ही में ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट के हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया है, अपनी इस उपलब्धि का श्रेय अपनी मां हेलेन को देते हैं। उनकी मां एक फर्राटा धाविका थीं, जिससे उन्हें रफ्तार से जुड़ी आनुवंशिक ताकत मिली। क्रिकेट डॉट कॉम एयू से बातचीत में ली ने कहा कि 160 किमी प्रति घंटा की रफ्तार उनके लिए किसी भी विकेट से कहीं ज्यादा मायने रखती है।

टीम की सफलता सर्वोपरि, लेकिन सपना खास
हालांकि ब्रेट ली ने यह भी साफ किया कि टीम की सफलता हमेशा व्यक्तिगत उपलब्धियों से ऊपर रही। उन्होंने कहा कि 2003 का विश्व कप जीतना और लगातार 16 टेस्ट मैचों में जीत दर्ज करना उनके करियर की सबसे बड़ी उपलब्धियां हैं। उनके अनुसार, क्रिकेट आखिरकार टीम गेम है और ट्रॉफी जीतने के लिए ही खेला जाता है। लेकिन व्यक्तिगत स्तर पर 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार हासिल करना उनके लिए सबसे खास क्षण था।

विकेट से ज्यादा रफ्तार थी अहम
ली ने कहा कि विकेट लेना उनके लिए कभी सबसे बड़ा लक्ष्य नहीं रहा, क्योंकि उन्होंने बहुत कम उम्र में ही अपनी प्राथमिकता तय कर ली थी। उनके अनुसार, जब कोई खिलाड़ी बचपन में एक सपना देखता है और फिर उसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर पूरा करता है, तो वह एहसास बेहद खास होता है। यही वजह है कि रफ्तार उनके क्रिकेट जीवन का केंद्र बिंदु बनी रही।

दो दशक लंबा शानदार करियर
ब्रेट ली ने करीब दो दशक लंबे अंतरराष्ट्रीय करियर में टेस्ट, वनडे और टी20तीनों प्रारूपों में कुल 718 विकेट झटके। उनकी तेज, आक्रामक और सटीक गेंदबाजी ने दुनिया भर के शीर्ष बल्लेबाजों में डर पैदा किया। वह न सिर्फ ऑस्ट्रेलिया, बल्कि वैश्विक क्रिकेट के सबसे प्रभावशाली तेज गेंदबाजों में से एक रहे।

तेज गेंदबाजी की प्रेरणा
आज भी ब्रेट ली युवा तेज गेंदबाजों के लिए प्रेरणा हैं। उनकी कहानी यह बताती है कि अगर लक्ष्य स्पष्ट हो और उसके लिए पूरी निष्ठा से मेहनत की जाए, तो सपने हकीकत बन सकते हैं। 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि ब्रेट ली के जुनून, समर्पण और क्रिकेट के प्रति उनके प्रेम का प्रतीक है।


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