Top
Begin typing your search above and press return to search.

दिलहारा फर्नांडो : 90 मील की रफ्तार के बाद अपनी धीमी गेंदों से बल्लेबाजों को तंग करने वाला पेसर

क्रिकेट को रोमांचक बनाने में श्रीलंका के खिलाड़ियों का बेहद अहम योगदान रहा है

दिलहारा फर्नांडो : 90 मील की रफ्तार के बाद अपनी धीमी गेंदों से बल्लेबाजों को तंग करने वाला पेसर
X

नई दिल्ली। क्रिकेट को रोमांचक बनाने में श्रीलंका के खिलाड़ियों का बेहद अहम योगदान रहा है। सनथ जयसूर्या की आक्रामक बल्लेबाजी हो या मुथैया मुरलीधरन की स्पिन या फिर लसिथ मलिंगा की यॉर्कर। इन सभी ने क्रिकेट को उसके स्तर से ऊपर उठाया। दिलहारा फर्नांडो भी एक ऐसे ही गेंदबाज रहे, जिन्होंने तेज रफ्तार गेंदों के साथ करियर शुरू किया और बाद में नई विविधताएं जोड़कर बल्लेबाजों के लिए अबूझ बने।

श्रीलंका क्रिकेट की गेंदबाजी की बात होती है, तो मुथैया मुरलीधरन, चमिंडा वास और लसिथ मलिंगा, रंगना हेराथ का नाम लिया जाता है। ये सभी दिग्गज खिलाड़ी हैं लेकिन, दिलहारा फर्नांडो की भी एक अलग पहचान कायम है। उनका आगमन वह दौर था जब श्रीलंकाई क्रिकेट अपना चरम देख चुका है। मजबूत कद-काठी के फर्नांडों की गेंदों की गति से सबका ध्यान खींचा।

19 जुलाई 1979 को कोलंबो में जन्मे दिलहारा फर्नांडो ने अपना अंतरराष्ट्रीय डेब्यू पाकिस्तान के खिलाफ 2000 में किया था। तब उनको चामिंडा वास का लंबे समय तक साथ देने वाला बॉलर माना गया था। हालांकि बार-बार लगती चोटों ने फर्नांडों के करियर को बुरी तरह से प्रभावित किया। उनको एक ही साल में दो बार स्ट्रेस फ्रैक्चर भी झेलना पड़ा।

वह श्रीलंकाई क्रिकेट से अंदर-बाहर होते रहे। इसी बीच 2007 में विश्व कप में इंग्लैंड के खिलाफ की गई उनकी गेंदबाजी ने श्रीलंका को नॉकआउट में पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई थी। यह उनका ऐसा यादगार प्रदर्शन था जिसके लिए फैंस उनको आज भी याद करते हैं।

मूलत: वह एक तेज गेंदबाज थे। जब वह अपने रंग में होते थे तो 150 की स्पीड वाली बाउंसर गेंदों से बल्लेबाजों की परीक्षा लेते थे। छह फीट तीन इंच लंबे इस गेंदबाज के बाउंसर को झेलना किसी भी बल्लेबाज के लिए आसान नहीं होता था। लेकिन, चोट के बाद वापसी करने वाले फर्नांडो गेंद के साथ प्रयोग करने के लिए जाने जाते थे। विविधताओं से भरी उनकी धीमी गेंदों ने भी कारगर हथियार का काम किया।

उन्होंने अपना आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच 2016 में भारत के खिलाफ खेला था, जो टी20 था। फर्नांडो का करियर इंजरी की वजह से बुरी तरह प्रभावित रहा। अन्यथा, उनके आंकड़े और भी बेहतर होते।

वह 2007 और 2011 का वनडे विश्व कप फाइनल खेलने वाली श्रीलंका टीम के सदस्य रहे थे। श्रीलंका की दक्षिण अफ्रीका में पहली टेस्ट जीत में भी उनकी अहम भूमिका रही थी।

फर्नांडो ने अपने करियर में 40 टेस्ट में 100, 147 वनडे में 187 और 18 टी20 में 18 विकेट लिए। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में श्रीलंका की तरफ से सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाजों में उनका स्थान सातवां है।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it