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आदिवासी इलाके से निकलकर सरिता गायकवाड़ ने एथलीट जगत में बनाई अपनी खास पहचान, जानिए कैसे तय किया सफर

गुजरात के आदिवासी इलाके डांग से निकलकर सरिता गायकवाड़ ने भारतीय एथलीट जगत में अपनी खास पहचान बनाई है। सरिता ने अपने शानदार प्रदर्शन के साथ भारत को कई मेडल दिलाए हैं, लेकिन एक सुदूर आदिवासी गांव से अंतरराष्ट्रीय खेल जगत तक का सफर इतना आसान नहीं था

आदिवासी इलाके से निकलकर सरिता गायकवाड़ ने एथलीट जगत में बनाई अपनी खास पहचान, जानिए कैसे तय किया सफर
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आदिवासी इलाके से निकलकर दुनिया में छाप छोड़ने वालीं सरिता गायकवाड़, जिनकी सफलता में पीएम मोदी ने निभाया रोल

नई दिल्ली। गुजरात के आदिवासी इलाके डांग से निकलकर सरिता गायकवाड़ ने भारतीय एथलीट जगत में अपनी खास पहचान बनाई है। सरिता ने अपने शानदार प्रदर्शन के साथ भारत को कई मेडल दिलाए हैं, लेकिन एक सुदूर आदिवासी गांव से अंतरराष्ट्रीय खेल जगत तक का सफर इतना आसान नहीं था।

जब सरिता गायकवाड़ संघर्ष कर रही थीं, उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी मदद की। जैसे-जैसे सरिता बड़ी हुईं, एथलेटिक्स के प्रति उनमें जुनून पैदा हुआ।

गुजरात का 'खेल महाकुंभ' सरिता की जिंदगी में नया मोड़ लेकर आया। राज्य स्तर पर खेलते हुए सरिता ने सभी को प्रभावित किया। उन्हें तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से एक जोड़ी जूते मिले। इसके अलावा, राज्य सरकार ने 25 हजार रुपए का नकद पुरस्कार भी दिया।

सरिता ने सोशल मीडिया 'एक्स' प्लेटफॉर्म के 'मोदी स्टोरी' हैंडल पर बताया, "मैं ऐसी पृष्ठभूमि से आई हूं कि एक जोड़ी स्पोर्ट्स शूज भी नहीं खरीद सकती थी। मुझे अपने जीवन का पहला गिफ्ट मोदी जी से एक जोड़ी जूते मिले थे।"

खेल महाकुंभ में शानदार प्रदर्शन के चलते गुजरात सरकार ने सरिता को 25,000 का पुरस्कार दिया था, जिसे याद करते हुए सरिता ने बताया, "वह 25 हजार रुपये मेरे लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुए। इसने मुझे अपनी जिंदगी पटरी पर लाने में मदद की।"

इसके बाद सरिता को एक स्पोर्ट्स हॉस्टल में एडमिशन मिला। यहां उन्हें पेशेवर कोचिंग, मेडिकल सहायता और मार्गदर्शन मिला।

1 जून 1994 को गुजरात में जन्मीं सरिता पहले खो-खो खिलाड़ी थीं, उन्होंने साल 2010 तक इसी खेल को खेला, लेकिन इसके बाद वह एक धाविका बन गईं।

सरिता गर्व और कृतज्ञता के साथ बताती हैं, "मोदीजी के लड़कियों के प्रति स्नेह के कारण मेरी जिंदगी बदल गई। यह उनकी दूरदर्शिता ही थी जिसने मुझ जैसी आदिवासी लड़की को जंगल से दुनिया तक पहुंचाया।"

सरिता ने जकार्ता एशियन गेम्स में गोल्ड जीतकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व किया। इस सफलता के लिए सरकार ने उन्हें 1 करोड़ का पुरस्कार दिया। इसके अलावा, प्रधानमंत्री मोदी के सहयोग से उन्हें गुजरात सरकार में नियुक्त किया गया।

साल 2011 में कोच की सलाह पर सरिता 400 मीटर हर्डल और 400 मीटर रेस की स्पेशलिस्ट बनीं। सरिता ने साल 2018 में एशियन गेम्स के 4 गुणा 400 मीटर महिला रिले टीम इवेंट में गोल्ड जीता।

उन्हें इसी साल कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए चुना गया। वह 4 गुणा 400 मीटर महिला रिले टीम में जगह बनाने वाली गुजरात की पहली खिलाड़ी थीं।

सरिता कहती हैं, "प्रधानमंत्री मोदी की ओर से एशियन गेम्स के पदक विजेताओं के लिए आयोजित सम्मान समारोह में, उन्होंने (पीएम मोदी) बताया कि वह मुझे गुजरात में मेरे शुरुआती दिनों से जानते थे।"

सरिता गायकवाड़ की कहानी सिर्फ उनकी अपनी नहीं है, बल्कि यह भारत के दूरस्थ इलाकों की अनगिनत लड़कियों की कहानी है, जिन्होंने शिक्षा, कौशल विकास, खेल और उद्यमिता के जरिए पीएम मोदी की दूरदर्शी पहलों के सहारे बाधाओं को पार करते हुए सफलता की बुलंदियों को छुआ है।


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