गुजरात विधानसभा का विशेष सत्र संपन्न, एक प्रस्ताव पर सर्वसम्मति तो दूसरा बहुमत से पारित
मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने आरक्षण को संबंधी प्रस्ताव के समर्थन वाले प्रस्ताव को पेश किया जो सर्वसम्मति से पारित हो गया।

गांधीनगर। गुजरात विधानसभा का एक दिवसीय विशेष सत्र आज संपन्न हो गया और इस दौरान अनुसूचित जाति/जनजाति के आरक्षण को और 10 साल तक बढ़ाने संबंधी संसद से पारित संविधान संशोधन विधेयक को समर्थन देने वाला प्रस्ताव तो सर्वसम्मति से पारित हो गया पर नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को समर्थन देने तथा इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को धन्यवाद देने संबंधी प्रस्ताव को मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के विरोध के चलते सत्तारूढ़ भाजपा को बहुमत से पारित कराना पड़ा।
साल का पहला सत्र होने के कारण इसकी शुरूआत राज्यपाल आचार्य देवव्रत के अभिभाषण से हुई पर आक्रामक तेवर अपनाने वाले कांग्रेस के सदस्य किसानों की समस्या समेत विभिन्न मुद्दों पर विरोध जताते हुए सदन बीचोबीच आ गये। हंगामे के चलते राज्यपाल का भाषण बाधित हुआ।
बाद में मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने आरक्षण को संबंधी प्रस्ताव के समर्थन वाले प्रस्ताव को पेश किया जो सर्वसम्मति से पारित हो गया। संसद से पारित संबंधित 126 वें संविधान संशोधन विधेयक को कानून बनाने के लिए कम से कम आधे राज्यों के विधानमंडलों से पारित होना होगा। आरक्षण की व्यवस्था संबंधी पुराना कानून 25 जनवरी तक ही प्रभावी है।
बाद में श्री रूपाणी जब नागरिकता संशोधन कानून को समर्थन संबंधी प्रस्ताव पेश कर रहे थे तो जमालपुर के कांग्रेस विधायक इमरान खेड़ावाला इस कानून के साथ ही एनआरसी और एनपीआर का बहिष्कार करने संबंधी पोस्टर लेकर सदन में विरोध करने लगे। विधानसभा अध्यक्ष राजेन्द्र त्रिवेदी ने भी इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि श्री खेड़ावाला को समझना चाहिए कि वह पाकिस्तान में नहीं बल्कि गुजरात विधानसभा में हैं। यह प्रस्ताव कांग्रेस के विरोध के बीच बहुमत से पारित हो गया।
बाद में संसदीय कार्य राज्यमंत्री प्रदीपसिंह जाडेजा ने कांग्रेस पर तुष्टिकरण की राजनीति करने और लोगों को भ्रमित करने का प्रयास करने का आरोप लगाया।
ज्ञातव्य है कि विधानसभा का बजट सत्र 24 फरवरी से 31 मार्च तक होगा और पहले ही दिन उपमुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री नीतिन पटेल बजट पेश करेंगे।
आज का विशेष सत्र आरक्षण संबंधी कानून को समर्थन देने के लिए ही बुलाया गया था जबकि साल का पहला सत्र होने के कारण राज्यपाल को अभिभाषण करना पडा और सत्तारूढ़ भाजपा ने इसी अवसर पर नागरिकता संशोधन कानून को लेकर प्रस्ताव भी पेश कर दिया।


