भारतीय वायुसेना का विशेष विमान आज भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष लेकर मंगोलिया जाएगा
भारत-मंगोलिया के ऐतिहासिक संबंधों को और अधिक मजबूती प्रदान करने के लिए भारत सरकार ने बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों को मंगोलिया लेकर जाने का फैसला किया है

नई दिल्ली। भारत-मंगोलिया के ऐतिहासिक संबंधों को और अधिक मजबूती प्रदान करने के लिए भारत सरकार ने बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों को मंगोलिया लेकर जाने का फैसला किया है। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू के नेतृत्व में एक 25 सदस्यीय शिष्टमंडल भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों के साथ मंगोलिया जाएगा। इन्हें मंगोलिया ले जाने के लिए भारतीय वायुसेना के एक विशेष हवाई जहाज सी-17 ग्लोब मास्टर का उपयोग किया जाएगा। भारत सरकार के फैसले के मुताबिक, भगवान बुद्ध के इन पवित्र अवशेषों को 14 जून को बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर 11 दिवसीय प्रदर्शनी के लिए भारत से मंगोलिया ले जाया जाएगा। इस 11 दिवसीय प्रदर्शनी के लिए केंद्रीय कानून एवं विधि मंत्री किरेन रिजिजू के नेतृत्व में पवित्र अवशेषों के साथ एक 25 सदस्यीय शिष्टमंडल 12 जून को मंगोलिया के लिए रवाना होगा। पवित्र अवशेषों का प्रदर्शन गंदन मठ के परिसर में बटसागान मंदिर में किया जाएगा। बुद्ध के पवित्र अवशेष वर्तमान में राष्ट्रीय संग्रहालय में रखे गए हैं, जिन्हें 'कपिलवस्तु अवशेष' के नाम से जाना जाता है। कपिलवस्तु पहली बार बिहार में खोजा गया एक स्थल है, जिसे प्राचीन शहर कपिलवस्तु माना जाता है।
बता दें कि भारतीय वायुसेना ने पवित्र अवशेषों को ले जाने के लिए एक विशेष हवाई जहाज सी-17 ग्लोब मास्टर उपलब्ध कराया है। इन पवित्र अवशेषों को मंगोलिया के संस्कृति मंत्री, मंगोलिया के राष्ट्रपति के सलाहकार तथा अन्य गणमान्य व्यक्तियों के अतिरिक्त बड़ी संख्या में बौद्ध भिक्षुओं द्वारा प्राप्त किया जाएगा। मंगोलिया में उपलब्ध भगवान बुद्ध के अवशेषों को भी भारत से आए अवशेषों के साथ प्रदर्शित किया जाएगा। दोनों ही अवशेषों के लिए भारतीय शिष्टमंडल द्वारा दो बुलेट प्रूफ केसिंग तथा दो औपचारिक कास्केट ले जाए जा रहे हैं।
भारत मंगोलिया के साथ सांस्कृतिक तथा ऐतिहासिक संबंधों का एक लंबा इतिहास साझा करता है और मंगोलिया की सरकार के आग्रह पर इस साझीदारी को आगे ले जाने के लिए भारत सरकार ने एक विशेष अपवाद के रूप में भगवान बुद्ध के इन पवित्र अवशेषों को 11 दिनों तक के लिए मंगोलिया के गंदन मठ के भीतर बटसागान मंदिर में प्रदर्शित किए जाने की अनुमति दी है। अब से पहले इन अवशेषों को वर्ष 2012 में देश से बाहर ले जाया गया था, जब श्रीलंका में उनकी प्रदर्शनी आयोजित की गई थी और श्रीलंका के कई स्थानों पर उन्हें प्रदर्शित किया गया था।
बहरहाल, बाद में दिशानिर्देश जारी किए गए तथा इन पवित्र अवशेषों को उन पुरावशेषों तथा कला खजाने की 'ईई' श्रेणी के तहत रखा गया, जिन्हें उनकी नाजुक प्रकृति को देखते हुए देश से बाहर नहीं ले जाया जाना चाहिए।
25 सदस्यीय शिष्टमंडल का नेतृत्व करने वाले केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने मोदी सरकार के इस फैसले को दोनों देशों के संबंधों में एक और ऐतिहासिक मील का पत्थर करार देते हुए कहा, "यह भारत-मंगोलिया के संबंधों में एक और ऐतिहासिक मील का पत्थर है तथा यह दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और अध्यात्मिक संबंधों को और बढ़ावा देगा।"
रिजिजू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2015 में मंगोलिया की यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि "प्रधानमंत्री मोदी मंगोलिया का दौरा करने वाले भारत के अब तक के पहले प्रधानमंत्री हैं और पवित्र अवशेषों को ले जाना हमारे प्रधानमंत्री के उन देशों के साथ हमारे संबंधों को पुनर्जीवित करने के विजन का विस्तार है, जिनके साथ हमारे सदियों पहले से सांस्कृतिक तथा अध्यात्मिक संबंध रहे हैं।"
उन्होंने कहा कि ये पवित्र अवशेष मंगोलिया के लोगों के लिए जिनका इस पवित्र अवशेष के प्रति उनके हृदय में बहुत विशिष्ट सम्मान है, एक विशेष उपहार के रूप में 11 दिनों की प्रदर्शनी के लिए ले जाए जा रहे हैं।
वहीं मोदी सरकार के फैसले और विजन के बारे में बताते हुए केंद्रीय संस्कृति, पर्यटन तथा डोनर मंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा, "सरकार बौद्ध धर्म को न केवल देश के भीतर बढ़ावा देने के सभी प्रयास कर रही है, बल्कि पूरे विश्व में भगवान बुद्ध के शांति तथा करुणा के संदेशों को फैलाने का प्रयास कर रही है।"
रेड्डी ने बताया कि इन पवित्र अवशेषों का प्रदर्शन उसी मठ में किया जाएगा, जहां प्रधानमंत्री मोदी ने दौरा किया था। उन्होंने कहा कि सरकार भारत में बौद्ध स्थलों, स्थानों तथा बौद्ध केंद्रों को विकसित करने के लिए कई परियोजनाओं पर काम कर रही है और हाल ही में कुशीनगर हवाईअड्डे का उद्घाटन एक ऐसा ही उदाहरण है।


