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सपा कर रही दलित वोटों में सेंधमारी की तैयारी, बाबा साहेब वाहिनी का करेगी गठन

दलित वोटों को अपने पक्ष में लाने के लिए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक बड़ा एलान किया है

सपा कर रही दलित वोटों में सेंधमारी की तैयारी, बाबा साहेब वाहिनी का करेगी गठन
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लखनऊ। दलित वोटों को अपने पक्ष में लाने के लिए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक बड़ा एलान किया है। अम्बेडकर जयंती पर बाबा साहेब वाहिनी का गठन करने की घोषणा की है। सपा को लगता है कि मायावती के खेमे से दरक रहा वोट बैंक वह अपने कब्जे में कर लेंगे। बीते दिनों से बसपा के बहुत सारे लोग सपा में जिस प्रकार से आने शुरू हुए है उन्हें ऐसी घोषणाओं के माध्यम से खुश किया जा सकता है। खैर उनकी यह कवायद कितनी कारगर होगी यह आने वाला समय बताएगा। फिलहाल इसे केंद्र सरकार के 14 अप्रैल को अम्बेडकर जयंती पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा पर तंज कसने वाले अखिलेश यादव की घोषणा बड़ा यू टर्न माना जा रहा है। सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शनिवार को पार्टी के प्रदेश कार्यालय पर कांग्रेस तथा बसपा के कई नेताओं को समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण कराई। इसी दौरान उन्होंने अम्बेडकर जयंती पर सपा की बाबा साहेब वाहिनी के गठन का संकल्प लिया।

सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अम्बेडकर जयंती पर सपा की बाबा साहेब वाहिनी के गठन का संकल्प लिया है। उन्होंने ने डॉ भीमराव अम्बेडकर जयंती पर पूरे प्रदेश, देश और जिलों में सपा की बाबा साहेब वाहिनी के गठन का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी अब डॉ. भीमराव अम्बेडकर के विचारों पर सक्रिय रहेगी और प्रदेश में बाबा साहेब वाहिनी का गठन करेगी। इसका अखिलेश यादव ने ट्वीट भी किया है।

अखिलेश यादव ने ट्वीट किया है कि संविधान निर्माता आदरणीय बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी के विचारों को सक्रिय कर असमानता व अन्याय को दूर करने और सामाजिक न्याय के समतामूलक लक्ष्य की प्राप्ति के लिए, हम उनकी जयंती पर जिला, प्रदेश व देश के स्तर पर सपा की बाबा साहेब वाहिनी के गठन का संकल्प लेते हैं। इस एलान को अखिलेश यादव का बड़ा यू टर्न माना जा रहा है।

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो नब्बे के दशक में कांशीराम और मायावती ने दलित राजनीति को बड़े स्तर पर पहुंचाया था। उन्होंने दलित वर्ग में उनके सम्मान की अलख जगाई थी। वह समाज के आदर्श बन गए और दलित वर्ग के बीच उन्हें विशेष सम्मान प्राप्त हुआ। इसके बाद मायावती का दलित वोटों पर एक छत्र राज रहा है। लेकिन 2014 के बाद से इसका कुछ हिस्सा खिसका वह भाजपा के पाले में चला गया है। अभी जो एक जाति वर्ग विशेष है जो मायावती के साथ साए की तरह खड़ी है। उसको अपने पक्ष में लाने की कवायद में राजनीतिक दल लगे हैं।

इससे पहले अखिलेश यादव ने पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में समाजवादी पार्टी में पूर्व मंत्री राकेश त्यागी, पूर्व विधायक अरशद खान व अनीस के साथ कांग्रेस के कई बड़े नेताओं को पार्टी में शामिल कराया। इनमें रवींद्र कश्यप व उत्तम चंद्र लोधी भी है।


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