सपा सांसद सुखराम सिंह ने की योगी से मुलाकात, अटकलों का बजार गर्म
समाजवादी पार्टी से राज्यसभा सदस्य सुखराम सिंह यादव ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी से मुलाकात की है

लखनऊ। समाजवादी पार्टी से राज्यसभा सदस्य सुखराम सिंह यादव ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी से मुलाकात की है। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी की जमकर तारीफ भी की। उनकी मुख्यमंत्री से मुलाकात पर उनके भाजपा में शामिल होने की चर्चा काफी तेज हो गयी है। सुखराम ने शुक्रवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि योगी आदित्यनाथ के लगातार दूसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद वह उनसे नहीं मिल सके थे, इसलिए उन्हें बधाई देने गए थे। हालांकि, राजनीतिक गलियारों में ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि सपा के वरिष्ठ नेता सुखराम, जिनके पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव से कथित तौर पर कुछ मतभेद हैं, पार्टी छोड़ने और भाजपा में जाने की तैयारी कर रहे हैं।
पीएम और सीएम की तारीफ करते हुए सांसद सुखराम ने कहा कि विधानसभा और विधान परिषद में सपा की हार का मुख्य कारण बरिष्ठ नेताओं से विचार न करना। उनसे संवादहीनता रखना। कहीं न कहीं यही पार्टी को पीछे ले गया है। हमारी नेता जी मुलायम सिंह के प्रति जवाबदेही है। अभी फिलाहाल मैं सपा में ही हूं।
सुखराम ने पत्रकारों से बातचीत में प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा, मेरी पीएम मोदी और सीएम योगी से अलग-अलग मुलाकात हुई है। दोनों से मुलाकात में मैंने महसूस किया कि दोनों अभूतपूर्व क्षमता वाले लोग हैं। इनका कोई जोड़ नहीं है। यह कहने में मुझे कोई संकोच नहीं है।
सुखराम सिंह ने मुलायम सिंह यादव की तारीफ करते हुए कहा कि मुलायम सिंह में सामंजस्य बनाए रखने की क्षमता थी, जबकि आज की लीडरशिप में ऐसा नहीं है।
सपा सांसद की योगी से मुलाकात इसलिए भी मायने रखती है कि राज्यसभा में सुखराम का कार्यकाल जल्द ही समाप्त होने वाला है। वहीं, संपर्क किए जाने पर शुक्रवार को सपा सांसद ने इन अटकलों को खारिज करते हुए कहा कि उनका कार्यकाल खत्म होने और उप्र के मुख्यमंत्री से उनकी मुलाकात के बीच कोई संबंध नहीं है।
ज्ञात हो कि सुखराम सिंह यादव को मुलायम सिंह यादव व शिवपाल सिंह यादव का बेहद करीबी माना जाता है। मुलायम सिंह यादव की करीबी के कारण ही सपा ने सुखराम सिंह यादव को 2016 में राज्यसभा सदस्य मनोनीत किया था। राज्यसभा सदस्य और 2004 से 2010 तक विधान परिषद के सभापति रहे।


