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आश्रय गृहों में अनियमितता के लिए सपा औऱ बसपा की पिछली सरकारें जिम्मेदार: रीता बहुगुणा जोशी

 देवरिया में बालिका गृह प्रकरण में स्थानीय प्रशासन की चूक को स्वीकार करते हुये उत्तर प्रदेश की महिला एवं बाल कल्याण मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने आज आरोप लगाया कि आश्रय गृहों में अनियमितता के लिये

आश्रय गृहों में अनियमितता के लिए सपा औऱ बसपा की पिछली सरकारें जिम्मेदार: रीता बहुगुणा जोशी
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लखनऊ। देवरिया में बालिका गृह प्रकरण में स्थानीय प्रशासन की चूक को स्वीकार करते हुये उत्तर प्रदेश की महिला एवं बाल कल्याण मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने आज आरोप लगाया कि आश्रय गृहों में अनियमितता के लिये समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की पिछली सरकारें काफी हद तक जिम्मेदार हैं।

जोशी ने आज यहां पत्रकारों से कहा “ वर्ष 2017 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के सत्ता संभालने के बाद प्रदेश में कुकरमुत्ते की तरह फैले गैर सरकारी संगठनों द्वारा अवैध रूप से संचालित आश्रय गृहों की मान्यता निरस्त करने का काम शुरू किया गया। इन आश्रय गृहों को सपा और बसपा शासित सरकारों के समय मान्यता मिली थी। ”

उन्होने खुलासा किया कि सूबे के सभी जिलों में बाल कल्याण समितियां सपा की देखरेख में है। इस लिहाज से आश्रय गृहों में होने वाली गतिविधियाें को जांचने का उन्हे पूरा अधिकार है। उन्होने कहा कि जिस बालिका गृह की जांच चल रही है, उसे वर्ष 2010 में तत्कालीन बसपा सरकार ने मान्यता दी थी और 2010 से 2017 के बीच इस बालिका गृह को तमाम सुविधायें भी दी गयी।

जाेशी ने कहा “ देवरिया में बाल कल्याण समिति की एक सदस्य प्रतिभा श्रीवास्तव एक समय में गैर सरकारी संगठन मां विंध्यवासिनी की सक्रिय सदस्य थी।” उन्होने कहा कि समिति के सदस्यों की नियुक्ति इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश से सपा सरकार के कार्यकाल में की गयी थी हालांकि अनैतिक गतिविधियों में लिप्त ऐसे 70 सदस्यों के खिलाफ योगी सरकार ने कार्रवाई शुरू कर दी है।

उन्होने कहा कि बाल कल्याण समितियों के सदस्य महीने में कम से कम 20 बार आश्रय गृह का निरीक्षण करते हैं और इसकी एवज में उन्हे प्रति दफा 1500 रूपये का भुगतान किया जाता है।

मंत्री ने कहा कि देवरिया मामले को लेकर सपा को आंदोलन करने का कोई नैतिक अधिकार नही है क्योंकि सारे मामले की जड़ वही हैं जिसको दुरूस्त करने के लिये भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है।

उन्होने इशारा किया कि बालिका ग़ृह में मिली 20 लडकियों मे दस व्यस्क पायी गयी जबकि मेडिकल जांच में इनमे से कुछ के साथ यौन उत्पीडन की पुष्टि हुयी है।

उन्होने कहा कि इस मामले में देवरिया पुलिस और अन्य अधिकारी की भूमिका की जांच के लिये उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है जिनमें महिला एवं बाल कल्याण विभाग की अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार और एडीजी महिला सुरक्षा अंजू गुप्ता शामिल हैं।

जोशी ने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार सभी जिलों से बालगृहों से संबधित रिपोर्ट आज शाम छह बजे तक मिल जायेंगी जिसके बाद श्री योगी इस मामले में विचार विमर्श कर दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे।

देवरिया की घटना के बारे में मंत्री ने कहा कि उनके विभाग ने आश्रय गृह बंद करने के लिये संबधित अधिकारियों को 15 पत्र भेजे थे जबकि डीपीओ ने 11 पत्र जारी किये थे।

उन्होने कहा “ हम यह भी जांच कर रहे है कि जून 2017 में बालिका गृह को बंद करन के आदेश के बावजूद पुलिस बच्चों को वहां कैसे भेज रही थी। इसके अलावा सरकार लड़कियों की गुमशुदगी की भी जांच करेगी। उन्होने कहा कि आश्रयगृह में 20 लड़कियां और तीन लड़के पाये गये जबकि संचालकों ने 42 बच्चों के होने का दावा किया था। प्रशासन ने सभी बच्चों की मेडिकल जांच करायी है और उनके बयान रिकार्ड किये गये हैं।

जोशी ने कहा कि सरकार दोषी लोगों को सख्त से सख्त सजा दिलायेगी। आश्रय गृह का निरीक्षण तीसरे पक्ष से कराने पर सरकार को कोई एतराज नही है। मुख्यमंत्री की सलाह है कि आश्रयगृह सरकार की देखरेख में चलने चाहिये और यह मंडलीय मुख्यालय में खुलने चाहिये।


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