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मप्र उप-चुनाव में सपा भी ताल ठोकने को तैयार

मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा के उप-चुनाव में समाजवादी पार्टी ने भी ताल ठोकने का मन बना लिया है।

मप्र उप-चुनाव में सपा भी ताल ठोकने को तैयार
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भोपाल | मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा के उप-चुनाव में समाजवादी पार्टी ने भी ताल ठोकने का मन बना लिया है। उम्मीदवारों के चयन के लिए सपा ने डिजिटल तकनीक का सहारा लिया है और दावेदारों से आवेदन भी व्हाट्सऐप पर आमंत्रित किए हैं।

राज्य में 28 विधानसभा क्षेत्रों में उप चुनाव होने वाले हैं। भाजपा जहां सभी क्षेत्रों के लिए उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर चुकी है, वही कांग्रेस और बसपा 27-27 सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम तय कर चुकी है। वही अब सपा भी चुनाव मैदान में उतरने का मन बना चुकी है।

सपा उप-चुनाव में नए चेहरों पर दांव लगाने के मूड में है। यही कारण है कि उसने बाकायदा दावेदारों से व्हाट्सऐप पर आवेदन भी मंगाए हैं। सपा की प्रदेश इकाई के पूर्व प्रवक्ता यश भारतीय ने एक सूचना जारी की है और सपा के नेताओं, पदाधिकारियों, कार्यकतार्ओं सहित पार्टी का उम्मीदवार बनने के इच्छुक लोगों से व्हाट्सऐप पर आवेदन भी मंगाए हैं।

राज्य की राजनीति में संभवत पहली बार ऐसा हो रहा है जब किसी राजनीतिक दल ने व्हाट्सऐप पर चुनाव लड़ने के इच्छुक लोगों से आवेदन मंगाए हैं।

यश भारतीय के अनुसार, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर व्हाट्सऐप पर उम्मीदवारी के लिए आवेदन मंगाए गए हैं। यह डिजिटल युग है और दावेदार सीधे संपर्क कर सकता है, इतना ही नहीं कोरोना काल है और व्हाट्सऐप पर आवेदन मंगाने से समय की भी बचत होगी।

राज्य की सियासत में समाजवादियों का कई हिस्सों में प्रभाव रहा है। यही कारण है कि कई बार एक से ज्यादा विधायक भी राज्य में समाजवादी समर्थक निर्वाचित हुए हैं। वर्तमान में राज्य की विधानसभा में सपा का एक विधायक है। आमतौर पर उप-चुनाव में राज्य में भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला होता रहा है, मगर इस बार बसपा ने 27 उम्मीदवार घोषित किए हैं तो वही सपा उम्मीदवार घोषित करने वाली है। कुल मिलाकर इस बार मुकाबला सीधा नहीं त्रिकोणीय और चतुष्कोणीय हो सकता है।

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो राज्य के उप-चुनाव में से बड़ी संख्या में वे क्षेत्र हैं जो उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे हुए हैं, उत्तर प्रदेश में बसपा व सपा का जनाधार है, इसका असर मध्य प्रदेश के इन क्षेत्रों पर भी है, लिहाजा दोनों दलों को लगता है कि वे उप-चुनाव के जरिए अपनी जमीन को और मजबूत कर सकते हैं, यही कारण है कि बसपा और सपा भी उम्मीदवारों को मैदान में उतार रहे हैं।


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