Top
Begin typing your search above and press return to search.

बोया जंगल बबूल का...

कोई ढाई साल पहले हमारे एक सम्पादकीय आलेख की शुरुआत इन्हीं पंक्तियों से हुई थी और अब इन्हें दोहराना पड़ रहा है क्योंकि धर्म, जाति, भाषा और खानपान के नाम बेची गई चरस का नशा अब भी लोगों के दिमाग पर तारी है

बोया जंगल बबूल का...
X

राहत इंदौरी का एक मशहूर शेर है - 'लगेगी आग तो आएंगे घर कई जद में, यहां सिर्फ मेरा मकान थोड़ी है।' दूसरे मशहूर शायर नवाज़ देवबंदी भी कहते हैं कि-'उस के क़त्ल पे मैं भी चुप था मेरा नम्बर अब आया, मेरे क़त्ल पे आप भी चुप हैं अगला नम्बर आपका है।' यही बात कई दशकों पहले जर्मनी में हिटलर के अत्याचारी शासन के ख़िलाफ़ पास्टर मार्टिन निमोलर कह चुके हैं- 'पहले वे समाजवादियों के लिए आए, लेकिन मैं चुप रहा क्योंकि मैं समाजवादी नहीं था। आगे वे इसी तरह कम्युनिस्टों, मज़दूर संगठनों और यहूदियों का जिक्र करते हैं और फिर कहते हैं कि 'आखिर में वे मेरे लिए आए लेकिन तब कोई बोलने वाला नहीं बचा था।'

कोई ढाई साल पहले हमारे एक सम्पादकीय आलेख की शुरुआत इन्हीं पंक्तियों से हुई थी और अब इन्हें दोहराना पड़ रहा है क्योंकि धर्म, जाति, भाषा और खानपान के नाम बेची गई चरस का नशा अब भी लोगों के दिमाग पर तारी है। बल्कि यह कहना ज़्यादा ठीक होगा कि ये नशा लोगों के दिमाग से उतरने नहीं दिया जा रहा है। एक ख़ास मकसद से बनाई जा रही फ़िल्मों और सोशल मीडिया के जरिये इस नशे की आपूर्ति बेरोकटोक चलती रहती है और कुछ राजनीतिज्ञ नशे को गाढ़ा करने में अपना योगदान देते रहते हैं। नतीजतन किसी समुदाय विशेष के ख़िलाफ़ जहर उगलने या दो समुदायों के बीच तनाव के मामले लगातार हमारे सामने आते जा रहे हैं।

लोगों को तो इस बात का अहसास भी नहीं है कि वे किस कदर इस नशे की गिरफ़्त में हैं और क्या कर रहे हैं। इसका एक उदाहरण बनारस का काशीनाथ आज़ाद हिन्दू होटल है, जिसने एक बैनर में लिखा है कि- द केरला स्टोरी फ़िल्म का टिकट दिखाने पर ग्राहकों को खाने के बिल पर 20 प्रतिशत की छूट दी जाएगी। इस बात पर बहस हो सकती है कि फ़िल्म के प्रचार का या उसके बहाने अपना कारोबार बढ़ाने का ये तरीका ठीक है या नहीं, लेकिन बनारस से सांसद चुने गए नरेन्द्र मोदी जब खुद इस फ़िल्म का ज़िक्र कर्नाटक के चुनाव में करने से नहीं हिचकिचाए तो होटल मालिक को कौन समझाए कि फ़िल्म में कितना सच है और कितना झूठ।

दूसरी तरफ उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले में एक मुस्लिम युवक के एक नाबालिग हिंदू लड़की के साथ पाए जाने को लेकर भारी बवाल खड़ा हो गया है। तमाम मुस्लिम व्यापारियों को शहर से चले जाने के लिए कहा जा रहा है। उनकी दुकानों के बाहर, दुकानें ख़ाली करने की चेतावनी वाले पोस्टर लगा दिए गए, जिसके कारण उनमें दहशत फ़ैल गई है। भाजपा के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष मोहम्मद ज़ाहिद तक को दूकान खाली कर और परिवार के साथ शहर छोड़कर जाना पड़ा है। ख़बर है कि उस लड़की के साथ एक हिंदू युवक भी पकड़ा गया था, लेकिन इस घटना को लव जिहाद का नाम दे दिया गया, जिसका कहर केवल मुसलमानों पर टूट रहा है।

पिछले रविवार की रात अहमदाबाद के चाणक्यपुरी इलाके में नगालैंड मूल के दो रेस्तरां कर्मचारियों पर भीड़ ने हमला कर दिया। उन पर आरोप लगाया गया कि वे लोगों को पूर्वोत्तर का मांसाहारी भोजन परोस रहे हैं। भीड़ का कहना था कि गुजरात एक हिन्दू बहुल राज्य है तो वहां मांसाहारी भोजन और वह भी पूर्वोत्तर का, कैसे बेचा जा सकता है। मज़े की बात है कि रोविमेज़ो के ही और मापूयंगर जमीर- ये दोनों युवक 'वन स्टॉप नार्थईस्ट' नामक जिस रेस्तरां में काम करते हैं, उसका मालिक एक हिन्दू हिरेन पटेल है। भाजपा शासित गुजरात में हुई इस घटना की निंदा और किसी ने नहीं बल्कि नगालैंड के ही भाजपा अध्यक्ष और राज्य मंत्री तेमजेन इम्ना अलॉन्ग ने की।

राहुल गांधी के अमेरिका में दिए गए भाषणों के बाद भाजपा उन पर हमलावर हो गई है। 'मोहब्बत की दुकान' के उनके नारे पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं और अतीत में नेहरू-गांधी परिवार के शासनकाल में हुई घटनाओं के गड़े मुर्दे तक उखाड़े जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर मीम्स और कार्टूनों के जरिये बताया जा रहा है कि राहुल की मोहब्बत की दुकान में कैसे नफ़रत का सामान बेचा जा रहा है लेकिन भाजपा के अपने बोए हुए बबूलों का जंगल कहां तक फैल गया है और उसके कांटे उसके अपने लोगों को कैसे घायल कर रहे हैं, ये उसे दिखाई नहीं दे रहा। ऐसे में राहत इंदौरी, नवाज़ देवबंदी और मार्टिन निमोलर की बात सुनने-समझने की तो उससे उम्मीद ही नहीं की जा सकती।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it