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सोनिया ने मोदी को लिखा पत्र, एमएसएमई के लिए मांगा राहत पैकेज

कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश के सामने पनपे गंभीर आर्थिक संकट को लेकर चिट्ठी लिखी है

सोनिया ने मोदी को लिखा पत्र, एमएसएमई के लिए मांगा राहत पैकेज
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नई दिल्ली। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश के सामने पनपे गंभीर आर्थिक संकट को लेकर चिट्ठी लिखी है। उन्होंने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) की चिंताओं को दोहराते हुए इसके निवारण के लिए सुझाव भी दिए हैं। सोनिया ने कहा कि एमएसएमई देश की अर्थव्यवस्था में एक तिहाई योगदान देता है, जिसे इस संकट के समय में राहत दी जानी चाहिए।

सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री को लिखे एक पत्र में कहा, "पिछले पांच हफ्तों के दौरान हमारे देश को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। हमने कोविड-19 के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखी है और इस दौरान मुझे एक आर्थिक चिंता को उजागर करना आवश्यक लगा, जिस पर तत्काल ध्यान देने और हस्तक्षेप किए जाने की आवश्यकता है। अगर इसे नजरअंदाज किया जाता है तो इससे हमारी अर्थव्यवस्था पर विनाशकारी प्रभाव पड़ने की संभावना है।"

उन्होंने लिखा कि एमएसएमई का देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में करीब एक तिहाई योगदान रहता है, जिसमें लगभग 50 प्रतिशत निर्यात शामिल है और इससे 11 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार मिलता है।

उन्होंने कहा, "इस समय उचित समर्थन के बिना 6.3 करोड़ से अधिक एमएसएमई आर्थिक बबार्दी की कगार पर खड़े हैं।"

सोनिया ने कहा कि राष्ट्रव्यापी बंद से हर दिन क्षेत्र में 30,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। कांग्रेस नेता ने कहा कि लगभग सभी एमएसएमई को बिक्री ऑर्डर के मामले में भी हानि झेलनी पड़ रही है, जिससे राजस्व पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

उन्होंने कहा, "सबसे ज्यादा चिंता यह है कि 11 करोड़ कर्मचारियों को नौकरी खोने का खतरा है, क्योंकि एमएसएमई मजदूरी और वेतन का भुगतान करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। सरकार को इस संकट से पार पाने के लिए कई उपायों की शुरुआत करने की आवश्यकता है।"

सोनिया ने सरकार से एक लाख करोड़ रुपये के एमएसएमई वेतन सुरक्षा पैकेज की घोषणा करने और एक लाख करोड़ रुपये के ऋण गारंटी कोष की स्थापना करने का आग्रह भी किया।

उन्होंने यह भी मांग की कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से उठाए गए कदमों का असर दिखना चाहिए और वाणिज्यिक बैंकों से एमएसएमई को कर्ज मिलना सुनिश्चित हो।


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