असाधारण परिस्थितियों का मुकाबला असाधारण तरीकों से ही होता है- सोनिया
कांग्रेस संगठन में नयी जान फूंकने के उद्देश्य से आयोजित तीन दिन का नव संकल्प चिंतन शिविर आज से झीलों की नगरी उदयपुर में शुरु हुआ। शिविर की शुरुआत कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के संबोधन के साथ हुई।

कांग्रेस संगठन में नयी जान फूंकने के उद्देश्य से आयोजित तीन दिन का नव संकल्प चिंतन शिविर आज से झीलों की नगरी उदयपुर में शुरु हुआ। शिविर की शुरुआत कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के संबोधन के साथ हुई। जिसमें सोनिया गांधी ने कहा कि असाधारण परिस्थितियों का मुकाबला असाधारण तरीकों से ही किया जा सकता है। इस बात के प्रति मैं पूरी तरह से सचेत हूं। उन्होंने कहा कि हर संगठन को बढ़ने और जीवित रहने के लिए समय-समय पर परिवर्तन करने होते हैं। हमें सुधारों की सख्त जरूरत है। रणनीति में बदलाव, ढांचागत सुधार और रोजाना काम करने के तरीके में परिवर्तन। एक तरह से यह सबसे बुनियादी मुद्दा है। लेकिन मैं ये भी जोर देकर कहना चाहती हूं कि हमारा पुनरूत्थान विशाल सामूहिक प्रयासों से ही हो पाएगा। और वो विशाल सामूहिक प्रयास न टाले जा सकते हैं, न टाले जाएंगे। ये शिविर इस लंबे सफर में एक प्रभावशाली कदम है।
देश भर से आए कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं से खचाखच भरे हॉल में सोनिया गांधी ने कांग्रेस के सामने उत्पन्न चुनौतियों के साथ ही देश के सामने छाए संकट पर भी चर्चा की। उन्होंने देश के मौजूदा हालात के लिए बीजेपी और आरएसएस को जिम्मेदार ठहराया। सोनिया गांधी ने कहा, “नव संकल्प चिंतन शिविर' हमें उन कई चुनौतियों पर चर्चा करने का अवसर देता है, जिनका सामना देश बीजेपी, आरएसएस और उसके सहयोगियों की नीतियों के परिणामस्वरूप कर रहा है।"
उन्होंने कहा कि पीएम मोदी और उनके सहयोगियों ने ध्रुवीकरण को सरकार में स्थायी बना लिया है। लोग डर और असुरक्षा के भाव में जी रहे हैं. हमारे समाज के बहुलवाद को निशाना बनाया जा रहा है। राजनीतिक विरोधियों को डराया-धमकाया जा रहा है। जांच एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है। लोकतंत्र के सभी स्तंभों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
सोनिया गांधी ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू जैसे हमारे नेताओं के योगदान, उपलब्धियों और त्याग को नकारा जा रहा है। वहीं, महात्मा गांधी के हत्यारों और उनकी विचारधारा को महिमामंडित किया जा रहा है।
एक के बाद दूसरी मिलती हार से निराश कांग्रेस कार्यकर्ताओं को उत्साहित करते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि इस बैठक के बाद बाहर एक ही संदेश जाना चाहिए कि संगठन की मजबूती, दृढ़ निश्चय और एकता का संदेश। हमें मिली नाकामयाबियों से हम बेखबर नहीं है। न ही हम बेखबर हैं, कठिनाइयों के संघर्ष से, जिसका हमें सामना करना है। हम देश की राजनीति में पार्टी को फिर उस भूमिका में ले जाएंगे, जो पार्टी ने हमेशा निभाई है। हम यह तय करें कि यहां से बाहर निकलेंगे तब एक नए आत्म विश्वास, नई ऊर्जा और प्रतिबद्धता से प्रेरित होकर निकलेंगे।


