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सोनभद्र मामला: प्रियंका का ‘हठ योग’, योगी सरकार भी अड़ी

सरकार के नुमाइंदे सोनभद्र में निषेधाज्ञा लागू होने का हवाला देकर उनसे लौट जाने की बात कह रहे है

सोनभद्र मामला: प्रियंका का ‘हठ योग’, योगी सरकार भी अड़ी
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मिर्जापुर.लखनऊ। पूर्वी उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में जमीनी विवाद में मारे गये दस लोगों के परिजनो से मिलने की जिद पर अड़ी कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा मिर्जापुर के चुनार गेस्ट हाउस में 20 घंटे से अधिक का समय बिता चुकी है लेकिन सरकार की ओर से उन्हे अब तक अनुकूल संकेत नहीं मिले हैं।

सरकार के नुमाइंदे सोनभद्र में निषेधाज्ञा लागू होने का हवाला देकर उनसे लौट जाने की बात कह रहे है जबकि उमस भरी गर्मी के बीच सारी रात जाग कर बिताने के बाद भी कांग्रेस नेता सोनभद्र के घोरावल जाने की जिद पर कायम है। उनका कहना है कि जिस मकसद के लिये वह दिल्ली से यहां आयी है, उसे पूरा किये बिना जाने का कोई सवाल ही नहीं उठता।

पुलिस हिरासत में चुनार गेस्ट हाउस में कैद श्रीमती वाड्रा से मिलने वालों का तांता लगा हुआ है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं का हुजूम गेस्ट हाउस के बाहर और भीतर लगा हुआ है। इस बीच अपनी हर गतिविधि की जानकारी ट्विटर के जरिये साझा कर रही कांग्रेस महासचिव सरकार और जिला प्रशासन के लिये सरदर्द बन चुकी हैं।

श्रीमती वाड्रा को मनाने के लिए शनिवार देर रात के बाद वाराणसी से एडीजी ब्रजभूषण और कमिश्नर दीपक अग्रवाल पहुंचे लेकिन वे उन्हे मनाने में असफल रहे। सूत्रों के अनुसार बातचीत के दौरान प्रियंका ने नरमी बरतते हुये पीडि़तों के परिजनों से कहीं भी मुलाकात प्रस्ताव दिया लेकिन सरकार के नुमाइंदों ने इस बारे में उन्हे कोई आश्वासन नहीं दिया।

कांग्रेस महासचिव ने देर रात गेस्ट हाउस की कैंटीन का बना भोजन किया और बिजली की आंख मिचौली के बीच सारी रात जाग कर गुजारी। कांग्रेसियों का आरोप था कि जिला प्रशासन ने गेस्ट हाउस की बिजली और पानी की सप्लाई काट दी ताकि वे यहां से चले जाये। इस दौरान राज्यसभा सांसद पी एल पुनिया और कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता अजय कुमार लल्लू उनके साथ रहे।

उधर कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल रामनाईक से मुलाकात की और सरकार के अलोकतांत्रिक रवैये को लेकर एक ज्ञापन देकर उनसे हस्तक्षेप करने की गुहार लगायी।

श्रीमती वाड्रा ने देर रात ट्वीट किया “ मैं नरसंहार का दंश झेल रहे गरीब आदिवासियों से मिलने, उनकी व्यथा-कथा जानने आयी हूँ। जनता का सेवक होने के नाते यह मेरा धर्म है और नैतिक अधिकार भी। उनसे मिलने का मेरा निर्णय अडिग है। उत्तर प्रदेश प्रशासन द्वारा मुझे पिछले 9 घंटे से गिरफ़्तार करके चुनार किले में रखा हुआ है। प्रशासन कह रहा है कि मुझे 50,000 की जमानत देनी है अन्यथा मुझे 14 दिन के लिए जेल की सज़ा दी जाएगी, मगर वे मुझे सोनभद्र नहीं जाने देंगे ऐसा उन्हें ‘ऊपर से ऑर्डर है’।

मैंने न कोई क़ानून तोड़ा है न कोई अपराध किया है।बल्कि सुबह से मैंने स्पष्ट किया था कि प्रशासन चाहे तो मैं अकेली उनके साथ पीड़ित परिवारों से मिलने आदिवासियों के गाँव जाने को तैयार हूँ या प्रशासन जिस तरीके से भी मुझे उनसे मिलाना चाहता है मैं तैयार हूँ मगर इसके बावजूद उप्र सरकार ने यह तमाशा किया हुआ है। जनता सब देख रही है।

मैं इस संदर्भ में जमानत को अनैतिक मानती हूँ और इसे देने को तैयार नहीं हूँ। मेरी साफ माँग है कि मुझे पीड़ित आदिवासियों से मिलने दिया जाय। सरकार को जो उचित लगे वह करे। अगर सरकार पीड़ितों से मिलने के अपराध के लिए मुझे जेल में डालना चाहें तो मैं इसके लिए पूरी तरह से तैयार हूँ।”

इस बीच कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर उत्तर प्रदेश सरकार के तानाशाही रवैये की निंदा करते हुये इसकी तुलना जंगलराज से की। उनका कहना था कि सरकार नरसंहार के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई में विफल साबित हुयी है।

गौरतलब है कि सोनभद्र में पिछले बुधवार को जमीनी विवाद को लेकर हुयी गोलीबारी में दस लोगों की मृत्यु हो गयी थी और 29 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गये थे। प्रदेश सरकार ने इस सिलसिले में शुक्रवार को सोनभद्र में पुलिस और प्रशासन के पांच अधिकारियों को निलंबित किया था और घटना की जांच के आदेश दिये थे।

श्रीमती वाड्रा शुक्रवार को ही सोनभद्र में प्रभावित परिवारों से मुलाकात करने आयी थी। सुबह उन्होने वाराणसी में बीएचयू अस्पताल में भर्ती घायलों से मुलाकात की जबकि बाद में वह सोनभद्र में मृतकों के परिजनो से मिलने रवाना हो गयी लेकिन मिर्जापुर-वाराणसी सीमा पर ही उन्हे सुरक्षा बलों ने निषेधाज्ञा का हवाला देते हुये रोक लिया था और नहीं मानने पर हिरासत में लेते हुये चुनार गेस्ट हाउस में नजरबंद कर दिया।


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