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सिपाही ने जीती कोरोना जंग : अफसरों के सपोर्ट और बेटियों की ममता ने बढ़ाया संबल

"कोरोना हुआ तो भी हिम्मत नहीं खोयी। परिवार से जरूर सब कुछ छिपाये रहा। महकमे के अफसरों को मगर सब कुछ बता दिया था

सिपाही ने जीती कोरोना जंग : अफसरों के सपोर्ट और बेटियों की ममता ने बढ़ाया संबल
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नई दिल्ली। "कोरोना हुआ तो भी हिम्मत नहीं खोयी। परिवार से जरूर सब कुछ छिपाये रहा। महकमे के अफसरों को मगर सब कुछ बता दिया था। रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद भी साथियों से यही कहा, हिम्मत और होशियारी से काम लेना। हमें कोरोना किसी पाप के चलते नहीं वरन लोगों की सेवा करते हुए हुआ है। हमारा बिगड़ेगा कुछ नहीं। जहां तक कोरोना को हराने की बात है तो सब कुछ ईश्वर पर छोड़ दिया था। सच पूछो तो मैंने नहीं कोरोना की लड़ाई तो, महकमे के अफसरों को खुले सपोर्ट और बेटियों की ममता ने जीती है।"

मंगलवार को आईएएनएस से यह बेबाक मुंहजुबानी बयान की दिल्ली पुलिस के कोरोना कर्मवीर सिपाही विकास कुमार वर्मा ने। 34 साल के विकास कुमार वर्मा मध्य दिल्ली जिले के उसी चांदनी महल थाने में तैनात हैं, जहां दिल्ली पुलिस में सबसे ज्यादा कोरोना पॉजिटिव पुलिसकर्मी मिले हैं। इसी इलाके के डीसीपी संजय भाटिया ने दिन रात ताबड़तोड़ 18 मसजिदों में छापे मरवाकर 100 से ज्यादा तबलीगी जमातियों को भी तलाशा था।

सिपाही विकास के मुताबिक, "कोरोना से ज्यादा खतरनाक उसका भय है। खुद की हिम्मत और ईश्वर साथ था। महकमे (दिल्ली पुलिस) के अफसरों का 24 घंटे खुला सपोर्ट था। गांव में मौजूद 85 साल की बूढ़ी दादी (मिश्री देवी), 60 साल की विधवा मां (कमला देवी) का आशीर्वाद। पत्नी सुनीता, चार बेटी हर्षिता (9), राधिका (7), गुंजन (5) और डेढ़ साल की बेटी दिव्यांशी की ममता शायद मुझे मौत के मुंह से बचा लाई होगी।"

आईएएनएस से बात करते-करते मौत के मुंह से निकल आये दिल्ली पुलिस के दिलेर सिपाही विकास की आवाज भर्राने लगती है। वे मगर खुद को कमजोर नहीं देखना चाहते। सो आगे बे-रोकटोक बोलते-बताते हैं। बकौल विकास, "15 अप्रैल को थाने में ड्यूटी पर था। बदन में दर्द महसूस हुआ। साथियों को बताया। एक गोली खा ली। चार-पांच घंटे आराम मिला। फिर परेशानी होने लगी। अगले ही दिन दिल्ली गेट स्थित डिस्पेंसरी गया। वहां कोरोना टेस्ट किया गया। रिपोर्ट पॉजिटिव आयी। तो 17 अप्रैल को साकेत मैक्स अस्पताल में भेज दिया गया।"

कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट की बात सुनते ही क्या लगा? पूछने पर विकास ने आईएएनएस से कहा, "कुछ नहीं बस थाने के बाकी साथियों से कहा- घबराना नहीं। भगवान ने चाहा तो ठीक होकर लौटूंगा। आप सब भी अपना ध्यान रखना। सब सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखना। कोरोना है कोई आसमानी आफत नहीं है।"

दिल्ली पुलिस की शान बढ़ाने वाले सिपाही कोरोना कर्मवीर विकास के मुताबिक, "मैंने घर में सिर्फ अपने छोटे भाई विक्रम को इशारा किया था कि मुझे कोरोना हुआ है। उससे मगर यह कह दिया कि वो, दादी, मां और अपनी ससुरालों में मौजूद दोनो बड़ी बहनों सुनीता और अन्नू से जिक्र न करे। मुझे डर था कि, चार्ली वन साहब (डीसीपी मध्य दिल्ली जिला संजय भाटिया) और महकमे के बाकी अफसरों की मदद से मैं अगर कोरोना की जंग जीत भी गया तो ऐसा न हो कि, मुझे कोरोना की बीमारी होने की खबर सुनकर बूढ़ी दादी और मां के साथ कहीं कोई अनहोनी न घट जाये। 2 जनवरी 2014 को पिता मदन लाल की मौत के बाद से मां और दादी वैसे ही बहुत कमजोर दिल हो चुकी हैं।"

मैक्स अस्पताल में कोरोना पॉजिटिव मरीज के रुप में पहली रात कैसी गुजरी? पूछे जाने पर सिपाही विकास कुमार वर्मा ने कहा, "मेरे रूम में हम कुल छह कोरोना पॉजिटिव थे। एक मैं और बाकी पांच डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ मैक्स अस्पताल साकेत का ही भर्ती था। हम सब कोरोना बीमारी से ध्यान बंटाने के लिए आपस में हंसते-बोलते रहते थे। डाक्टर्स ने उस बुरे दौर में बहुत मोरल सपोर्ट दिया। वे कहते थे, कि तुम तो पुलिस वाले हो और हम डॉक्टर। अगर कोरोना ने हमें ही हरा दिया तो फिर दुनिया में जीतेगा कौन? ऐसे में बस खाओ पीयो मस्त रहो। कोरोना आज है कल अपने आप ही हमसे हारकर लौट जायेगा। आखिर में वही हुआ। मैं अब आपसे (आईएएनएस) से बात कर रहा हूं।"

कोरोना नहीं कमजोर कब और कहां किया था? पूछने पर विकास कहते हैं, "अस्पताल में जब था तो बेटियों का और पत्नी सुनीता का फोन आता था। वे यह समझतीं कि मैं थाने की ड्यूटी पर हूं। उन्हें नहीं मालूम था कि मैं कोरोना पॉजिटिव हो चुका हूं। उस वक्त उनसे बात करते करते मन टूटता था। फिर भी हिम्मत बांधकर मैं उनसे बात करता। फिर यह कहकर फोन काट देता कि मैं अभी एसएचओ साहब के साथ बिजी हूं। बाद में फोन करुंगा।"

आईएएनएस के साथ मंगलवार को हुई इस विशेष बाततीच के अंत में दिल्ली पुलिस के इस बहादुर कोरोना कर्मवीर ने कहा, "जब बेटी राधिका ने एक दिन फोन पर पूछा कि, 5 मई को मेरा (बेटी राधिका) बर्थडे है। अगले ही दिन यानी 6 मई को मम्मी (सिपाही विकास की पत्नी सुनीता) का बर्थ डे है। पापा अगर हो सके तो, आप दो महीने से नहीं आये हो घर। एसएचओ साहब से पूछ लेना अगर मेरी (बेटी राधिका) बर्थडे पर छुट्टी मिल जाये तो चले आना। तब तक लॉकडाउन भी (3 मई को) खत्म हो लेगा।" बेबाकी से आपबीती बताते-सुनाते एक बार फिर दिल्ली के इस दिलेर का गला भर्रा उठता है। मगर खुद को संभालते हुए कहते हैं, कि देखता हूं। क्या होगा? अभी तो डॉक्टरों ने कुछ और दिन अलग रहने को कहा है।

उल्लेखनीय है कि, विकास कुमार वर्मा 2014 बैच के दिल्ली पुलिस के सिपाही हैं। मूलत: कोटपुतली (राजस्थान) के रहने वाले विकास ने बीएड भी किया है। सन 2018 से चांदनी महल थाना एसएचओ इंस्पेक्टर विनोद कुमार सिंह के साथ सिपाही-चालक के बतौर तैनात हैं।


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