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कूटरचना कर बैंक में गिरवी रखी जमीन बेच दी

किसी समय शहर के प्रतिष्ठित व्यवसायियों में गिने जाने वाले चिडिपाल बिल्डर्स एवं कांन्ट्रेक्टर्स के संचालकगणों की मुसीबत कम होनें का नाम नही ले रही है.........

रायगढ़। किसी समय शहर के प्रतिष्ठित व्यवसायियों में गिने जाने वाले चिडिपाल बिल्डर्स एवं कांन्ट्रेक्टर्स के संचालकगणों की मुसीबत कम होनें का नाम नही ले रही है। पूर्व में रिहायशी कालोनी के मकानों को फर्जी रजिस्ट्री से बेचने के मामले में पहले एफआईआर और बाद में जेल की हवा खा चुके फर्म के संचालक आशीष चिडिपाल और फर्म के संचालकगणों की मुसीबत अब और बढ़ गई है।

चूंकि ठगी के एक और मामले में मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी ने उनके खिलाफ धोखाधड़ी का अपराध पंजीबद्ध करने का आदेश पारित किया है। विशेष बात यह है कि करीब माह भर पूर्व जारी आदेश के बावजूद पुलिस इस मामले में अपेक्षित कार्रवाई नही कर सकी है। इस संबंध में मिली जानकारी के मुताबिक शहर के ढिमरापुर क्षेत्र में निवासरत सुकांति गुप्ता पति संजय गुप्ता की ओर से कुछ माह पूर्व मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में एक परिवाद पत्र प्रस्तुत करते हुए आरोप लगाया गया कि फर्म के संचालक आशीष चिडिपाल पिता महेश चिडिपाल तथा उनके परिजन एवं फर्म के संचालकगणों में शामिल महेश पिता स्व. माधव प्रसाद चिडिपाल, कुसूम देवी पति महेश चिडिपाल, अभिषेक पिता महेश चिडिपाल, श्रीमती टीना पति आलोक चिडिपाल तथा आलोक पिता महेश चिडिपाल, की ओर से परिवादिनी सुकांति गुप्ता को बोईरदादर स्थित पटवारी हल्का नं. 13 में स्थित ग्रीन सिटी का प्लाट नंबर 31 का पूर्ण भुगतान लेकर उक्त भूमि का विक्रय पत्र गत 23 नवंबर 2009 को निष्पादित किया गया था तथा रजिस्ट्री बय नामा निष्पादित करते हुए भूमि का कब्जा दिया गया था।

किंतु गत 27 जुलाई 2012 को सुकांति गुप्ता को अखबार के माध्यम से जानकारी मिली कि फर्म के संचालकगणों के द्वारा उक्त भूमि को बैंक आफ बडौदा में 11 लाख रूपये का हाउसिंग लोन लेकर गिरवी रखा गया है। जबकि फर्म के संचालकों द्वारा परिवादिनी से पूर्व में ही लगभग साढ़े 5 लाख रूपये का भुगतान लिया जा चुका था। बैंक के द्वारा अखबारों के माध्यम से उक्त भूमि की नीलामी सूचना जारी की गई थी जिसे देखकर सुकांति गुप्ता ने बैंक के मैनेजर से संपर्क किया तो उसे पता चला कि उसके अधिकार की भूमि को फर्म की संचालक श्रीमती टीना चिडिपाल व आलोक चिडिपाल द्वारा बैंक में गिरवी रखा गया है।

जिस पर सुकांति गुप्ता को अपने साथ धोखाधडी किए जाने की जानकारी मिली और फर्जी रजिस्ट्री के इस मामले में न्याय पाने के लिए सुकांति गुप्ता ने पहले गत 30 जुलाई तथा 15 दिसंबर 2012 को पुलिस अधीक्षक के नाम शिकायत पत्र प्रस्तुत कर कार्रवाई की मांग की मगर इस मामले में कोई कार्रवाई नही होनें के कारण उनके द्वारा न्यायालय में इस आशय का परिवाद पत्र प्रस्तुत कर आरोपीगणों के खिलाफ धारा 120 बी, 420, 467, 468, 471 / 34 के तहत अपराध पंजीबद्ध करने की गुहार लगाई गई।

इस मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्टे्रड श्रीमती कंवर की अदालत ने परिवाद को ग्राह्य करते हुए सुनवाई पश्चात फर्म के संचालकगणों के खिलाफ धोखाधड़ी का अपराध पंजीकृत करने का आदेश जारी करते हुए उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने का भी आदेश दिया है। विशेष बात यह है कि इस मामले में आरोपियों को अपनी उपस्थिति दर्ज कराने हेतु दी गई तिथि 17 मई की मियाद पूरी हो जाने के माह भर बाद भी इस मामले में पुलिस की ओर से कोई अपेक्षित कार्रवाई नही की गई है।

जिसके कारण परिवादिनी सुकांति गुप्ता ने इस मामले में पुलिस पर भी कार्रवाई को सिथिर करने का आरोप लगाया है तथा फर्म के संचालकगणों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग की है।


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