सोशल मीडिया संबंधी दिशा-निर्देश, नफरत भरे भाषण, झूठी खबरें पोस्ट करने पर रोक
जिला और राज्य स्तर पर मीडिया प्रमाणन और निगरानी समितियां तैनात कर दी गई हैं। प्रत्येक स्तर पर एक सोशल मीडिया विशेषज्ञ भी इस समिति का हिस्सा होगा।

नई दिल्ली। चुनाव आयोग इस बार सोशल मीडिया को लेकर काफी सख्त है, निर्वाचन आयोग द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार राजनीतिक दल और उम्मीदवार अपने खातों से असत्यापित विज्ञापन, रक्षाकर्मियों की तस्वीरें, नफरत भरे भाषण व झूठी खबरें पोस्ट नहीं कर सकेंगे।
चुनाव आयोग द्वारा जारी नए दिशा-निर्देश के मुताबिक, उम्मीदवारों को नामांकन दाखिल करते वक्त अपने सोशल मीडिया खातों का विवरण प्रस्तुत करना आवश्यक होगा और चुनाव आयोग फेसबुक, व्हाट्सएप, ट्विटर, गूगल पर उनकी गतिविधियों पर बारीकी से नजर रखेगा।
आदर्श आचार संहिता के प्रावधान, उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों के सोशल मीडिया पर पोस्ट की जा रही सामग्री पर भी लागू होंगे। किसी भी प्रकार के उल्लंघन पर चुनाव आयोग द्वारा कार्रवाई की जा सकती है।
अरोड़ा ने कहा है, "जिला और राज्य स्तर पर मीडिया प्रमाणन और निगरानी समितियां (एमसीएमसी) तैनात कर दी गई हैं। प्रत्येक स्तर पर एक सोशल मीडिया विशेषज्ञ भी इस समिति का हिस्सा होगा। सोशल मीडिया पर जारी किए जाने वाली सभी राजनीतिक विज्ञापनों को संबंधित एमसीएमसी से पूर्व प्रमाणीकरण की आवश्यकता होगी।"
सोशल मीडिया पर झूठी खबरों और दुर्व्यवहार पर निगरानी रखने के लिए उपयुक्त फैक्ट चेकर्स भी तैनात किए जाएंगे।
दिशा-निर्देशों के अनुसार, किसी भी राजनीतिक दल या उम्मीदवार को ऐसा कोई भी कंटेंट पोस्ट नहीं करना है, जिससे चुनावी प्रक्रिया बाधित हो या शांति, सामाजिक सद्भाव और सार्वजनिक व्यवस्था बिगाड़े। उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों द्वारा सोशल मीडिया विज्ञापनों पर खर्च किए गए धन सहित अपने प्रचार खर्च को चुनाव व्यय खाते में शामिल करना आवश्यक है।
निर्वाचन आयोग ने कहा, "अन्य चीजों के अलावा इसमें इंटरनेट कंपनियों व विज्ञापन वाली वेबसाइटों को किए गए भुगतान, कंटेंट के रचनात्मक विकास पर अभियान-संबंधी व्यय और सोशल मीडिया खातों को चलाने के लिए रखी गई टीम की तनख्वाह व उनके भुगतान को शामिल किया जाना चाहिए।"


