श्रीनगर-लेह राजमार्ग को खोलने बर्फ हटाने का कार्य आरंभ
पिछले साल जो श्रीनगर-लेह राजमार्ग मात्र 73 दिनों के बंद रहा था उसे खोलने की खातिर बर्फ हटाने का कार्य आरंभ हो गया है

- सुरेश एस डुग्गर
जम्मू। पिछले साल जो श्रीनगर-लेह राजमार्ग मात्र 73 दिनों के बंद रहा था उसे खोलने की खातिर बर्फ हटाने का कार्य आरंभ हो गया है। इस बार यह पिछले महीने ही बंद किया गया था। यह पहली बार था कि इसे जनवरी में बंद किया गया था और इतनी जल्दी इसे खोलने की तैयारी शुरू कर दी गई है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि इस बार बर्फबारी बहुत ही कम हुई है। इसी राजमार्ग पर 11,650 फीट की ऊंचाई पर स्थित, जोजिला दर्रे को एक रणनीतिक दर्रा माना जाता है जो चीन सीमा के अतिरिक्त लद्दाख को शेष देश से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस दर्रे से बर्फ हटाते ही यह खुल जाएगा।
अममून जोजिला दर्रा हर साल नवंबर के अंत तक बंद हो जाता है, सर्दियों की शुरूआत के साथ, जब तापमान शून्य से कई डिग्री कम हो जाता है। अभी तक यह दर्रा 6 महीनों तक बंद रहा करता था पर कुछ सालों से कम बर्फबारी और बीआरओ की मेहनत का नतीजा है कि पिछली बार इसे मात्र 73 दिनों के बाद ही खोला गया था ।
जानकारी के लिए श्रीनगर-लेह राजमार्ग के छह महीनों तक बंद होने से लाखों लोगों का संपर्क शेष विश्व से कट जाता है और ऐसे में उनकी हिम्मत काबिले सलाम है। बात उन लोगों की हो रही है जो जान पर खेल कर लेह-श्रीनगर राजमार्ग को यातायात के लायक बनाते हैं। बात उन लोगों की हो रही है जो इस राजमार्ग के बंद हो जाने पर कम से कम 6 माह तक जिन्दगी बंद कमरों में इसलिए काटते हैं क्योंकि पूरे विश्व से उनका संपर्क कट जाता है।
श्रीनगर से लेह 434 किमी की दूरी पर है। पर सबसे अधिक मुसीबतों का सामना सोनमार्ग से द्रास तक के 63 किमी के हिस्से में होता है। पर बीआरओ के जवान इन मुसीबतों से नहीं घबराते। वे बस एक ही बात याद रखते हैं कि उन्हें अपना लक्ष्य पूरा करना है। तभी तो इस राजमार्ग पर बीआरओ के इस नारे को पढ़ जोश भरा जा सकता है जिसमें लिखा होता हैः‘पहाड़ कहते हैं मेरी ऊंचाई देखो, हम कहते हैं हमारी हिम्मत देखो।’ भयानक सर्दी, तापमान शून्य से कई डिग्री नीचे। खतरा सिरों पर ही मंडराता रहता है। पर बावजूद इसके बीआरओ के जवान राजमार्ग को यातायात के योग्य बनाने की हिम्मत बटोर ही लेते हैं।


