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दूसरे राज्यों में की जा रही रेत की तस्करी

 क्षेत्र के शहरी व ग्रामीण ईलाकों में बहने वाली नदियों में जिस प्रकार तेजी से रेत का उत्खनन किया जा रहा है

दूसरे राज्यों में की जा रही रेत की तस्करी
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मनेन्द्रगढ़। क्षेत्र के शहरी व ग्रामीण ईलाकों में बहने वाली नदियों में जिस प्रकार तेजी से रेत का उत्खनन किया जा रहा है वह जिले के आलाधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल लगाने के लिये काफी है।

मनेन्द्रगढ़ विकासखंड के सिरौली व बंजी में बहने वाली हसदेव नदी में लंबे समय से नियम कायदों को ताक पर रखकर रेत निकाली जा रही है लेकिन जिस प्रकार नदी को ही बांधकर रेत माफिया बड़ी पोकलेन मशीनें लगाकर रेत निकाल रहे हें उसे रहते यदि कठोरता से नही रोका गया तो फिर हसदेव के अस्तित्व पर ही सवाल उठ खड़े होंगे।

हैरत वाली बात तो यह है कि रेत माफिया मनमाने तरीके से रेत निकाल रहे हैं लेकिन रेत माफियाओं पर कोई कार्यवाही नही हो रही जिससे रोजाना भारी राजस्व की क्षति हो रही है। मनेन्द्रगढ़ से लगभग ५० किमी दूर ग्राम पंचायत सिरौली व ग्राम पंचायत बंजी मेें हसदेव नदी बहती है।

इस ईलाके नदी का चौड़ा पाट होने के कारण यहां काफी रेत है। यही वजह है कि इन ईलाकों में लंबे समय से वन विभाग की मिलीभगत से हसदेव नदी से रेत उत्खनन जारी है। हैरत वाली तो यह है कि जब हमने इस बारे में वन अमले से बातचीत की तो उनका कहना था कि हमने कार्यवाही की बात रेत उत्खनन में लगे वाहनों को जप्त करने के बाद वाहनों को स्थानीय सरपंच के सुपुदर्गी में दे दिया है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि इन रेत माफयाओं पर कार्यवाही कौन करेगा।

अवैध रूप से नदी में वाहन लगाकर रेत उत्खनन तक मामला सीमित रहता तो समझा जा सकता था कि रेत माफिया सिर्फ नदी से रेत निकालने का कारोबार कर रहे हैं। लेकिन यहां तो हसदेव नदी को बांधकर उसके प्रवाह की दिशा को ही बदल दिया गया। इससे आसानी से समझा जा सकता है कि इस पूरे कारोबार में लगे रेत माफियाओं की पहुंच कहां तक है। जो नदी को बांधने और उसके प्रवाह की दिशा को बदलने का हौसला रखते हैं।


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