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अग्निपथ योजना के खिलाफ एसकेएम ने जिला और प्रखंड मुख्यालयों में सौंपा ज्ञापन

संयुक्त किसान मोर्चा ने शुक्रवार को अग्निपथ योजना के खिलाफ राष्ट्रव्यापी विरोध दिवस मनाया

अग्निपथ योजना के खिलाफ एसकेएम ने जिला और प्रखंड मुख्यालयों में सौंपा ज्ञापन
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नई दिल्ली। संयुक्त किसान मोर्चा ने शुक्रवार को अग्निपथ योजना के खिलाफ राष्ट्रव्यापी विरोध दिवस मनाया। योजना के विरोध में किसान संगठन, ट्रेड यूनियन, नागरिक समाज और छात्र एक साथ आए। दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ में व्यापक विरोध प्रदर्शन भी हुआ।

इसके साथ ही जिला एवं प्रखंड मुख्यालयों पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपा गया। किसान संगठनों ने भारत के राष्ट्रपति के समक्ष निम्नलिखित मांगें रखीं हैं जिसमें कहा गया कि, अग्निपथ योजना को तत्काल और पूरी तरह से रद्द किया जाए, सेना में पिछली 1,25,000 रिक्तियों और इस साल खाली होने वाले लगभग 60,000 पद पर नियमित भर्ती बहाल की जाए, चल रही भर्ती को पूरा किया जाए और गत दो वर्ष से भर्ती न होने के एवज में सामान्य भर्ती के लिए युवाओं को आयु में 2 वर्ष की छूट दी जाए, भर्ती के लिए हलफनामा की शर्त नहीं लगाई जाए, अग्निपथ विरोध में युवकों पर दर्ज सभी झूठे मुकदमे वापस लिए जाएं, और गिरफ्तार युवकों की रिहाई की जाए।

एसकेएम ने अग्निपथ योजना को राष्ट्र, सशस्त्र बलों में शामिल होने के इच्छुक युवाओं, और देश के किसान परिवारों के साथ एक बड़ा धोखा करार दिया।

एसकेएम के मुताबिक, 2020-21 में शुरू हुई भर्ती प्रक्रिया को रोकना युवाओं के सपनों के साथ खिलवाड़ है, और सेना में भर्ती की संख्या को घटाना, सेवाकाल को घटाकर 4 साल करना और पेंशन समाप्त करना उन सब युवाओं और परिवारों के साथ अन्याय है जिन्होंने फौज को देशसेवा के साथ कैरियर के रूप में देखा है। चार साल की सेवा के बाद तीन-चौथाई अग्नि वीरों को सड़क पर खड़ा कर देना युवाओं के साथ भारी अन्याय है।

"रेजीमेंट के सामाजिक चरित्र की जगह ऑल क्लास ऑल इंडिया भर्ती करने से उन क्षेत्रों और समुदायों को भारी झटका लगेगा जिन्होंने पीढ़ी दर पीढ़ी सेना के जरिए देश की सेवा की है। इनमें पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पूर्वी राजस्थान जैसे इलाके शामिल हैं।"

एसकेएम ने कहा, यह हैरानी की बात है कि इतने बड़े और दूरगामी बदलावों की घोषणा करने से पहले सरकार ने किसी न्यूनतम प्रक्रिया का भी पालन नहीं किया। नई भर्ती की प्रक्रिया का कोई पायलट प्रयोग कहीं नहीं किया गया। संसद के दोनों सदनों या संसद की रक्षा मामलों की स्थाई समिति के सामने इन प्रस्तावों पर कोई चर्चा नहीं हुई।

इस योजना से प्रभावित होने वाले स्टेकहोल्डर (भर्ती के आकांक्षी युवा, सेवारत जवान और अफसर, सघन भर्ती के इलाकों के जनप्रतिनिधि और साधारण जनता) के साथ कभी कहीं कोई विचार-विमर्श नहीं किया गया।


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