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प्रदूषित सब्जियां छोड़ों, घर की छत पर उगाओं ऑगेनिक सब्जियां

  पौष्टिक आहार के लिए लोग क्या नहीं करते। हरी-भरी व ताजी सब्जी के लिए घरों से दूर पोखरो व नदियों के किनारे लगी मंडियों तक पहुंच जाते है

प्रदूषित सब्जियां छोड़ों, घर की छत पर उगाओं ऑगेनिक सब्जियां
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नोएडा। पौष्टिक आहार के लिए लोग क्या नहीं करते। हरी-भरी व ताजी सब्जी के लिए घरों से दूर पोखरो व नदियों के किनारे लगी मंडियों तक पहुंच जाते है। लेकिन क्या यह सब्जियां वाकिए में शुद्ध या ताजी है। इसकी परख किसी को नहीं है।

इन सब्जियों को किस पानी से सींचा जाता है। इसकी जानकारी नहीं होगी। इन हानिकारक सब्जियों से बचना है तो क्यो न अपने घर के टेरिस को ही खेत में तब्दील कर दिया जाए। वह ऐसी तकनीक से जिससे न तो टेरिस में सीलन का खतरा होगा न ही देखने में भद्दा या अजीब लगेगा। लार शो में एक ऐसी तकनीक है। नोएडा में करीब 46 परिवार इस तकनीक का प्रयोग कर रहे है। जबकि पिंक सिटी जयपुर में इस तकनीक का प्रयोग करने वाले हजारों में है। द लिविंग ग्रीन्स संस्था की ओर से इस तरह की तकनीक बनाई गई है। जिसकी चार श्रेणी है।

टेरिस पर स्थान होने पर पोर्टेबल रूफटॉप फारमिंग सिस्टम दूसरा लिविंग ग्रीन बाल्स तीन्सरा वर्टिकल वेज ग्रोइंग सिस्टम व चौथा लिविंग बिलबोड है। हम यहा पोर्टेबल रूफ फारमिंग सिस्टम की करेंगे। घर की छत पर इसे आसानी से लगाया जा सकता है। यह एक हट या झोपड़ी की तरह होता है। इसमें सामान्य मिट्टी की जगह कोकोनेट का भूसा, प्रेस मड के अलावा ग्यारह मृदा के तत्व होते है। जिनको हाइ डेनस्टिी पालिथीन (एचडीपीई) के चाकोर खाने में डाला जाता है। इसके बाद इसमे करीब दो दर्जन प्रकार की सब्जियां उगाई जा सकती है।

खास बात यह है कि यह पानी की नमी को अपने अंदर समाकर रखती है। लिहाजा यदि आप तीन से चार दिन के बाहर जा रहे है तो पौधों को पानी देने की जरूरत नहीं होगी। हालांकि इसको लगाने का खचा करीब 23 हजार के आसपास है। लेकिन एक बार लग जाने के बाद यह सालों साल अपको शुद्ध व ताजी सब्जियों का संग्रह बन जाएगा। रूफ प्लानिंग करने वाले विशेषज्ञ बिस्ट ने बताया कि गर्मियों में इसमे लॉकी, तुरई, करेला, भिंडी, मस्कमेलन, खीरा, काउपाई, बिंग्रल, पंपकिन, कॉर्न, ककड़ी उगा सकते है। इसके अलावा सर्दियों में गोभी, ब्रोकली, टमाटर, शिमलामिर्च, रेडिश, लाल गाजर, पालक, धनिया मेथी, स्ट्राबेरी, रेड केबिज के अलावा कई अन्य सब्जियों को उगा सकते है।

छत पर नहीं पड़ेगा कोई फर्क

इस तकनीक के प्रयोग से आपकी छत पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। छत में न तो सीलिंग आएगी न ही किसी प्रकार की गंदगी फैलेगी। इसे ग्रीन गार्डन के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। यही नहीं इसका वजन व लंबाई चौड़ाई को इस तरह से सुनयोजित की गई है ताकि छत पर इसके भार से कोई फर्क न पड़े।

लावर शो में यहा इस बार एक ऐसा पेड़ भी है जिसकी लंबाई चौड़ाई का कोई आंकलन नहीं किया जा सकता। लेकिन इसको गमले में प्रिजर्व करके रखा गया है। यहा की ऊंचाई महज 3 फिट ही है। इसकी उम्र 44 साल की है। अगले साल प्लावर शो में इसकी उम्र 45 साल की होगी।

आम बोलचाल की भाषा में इसे शैतान नाम दिया गया है। वह भी खासियात की वजह से। वहीं, इसका बोटेनिक नाम एलिस्टोनिया है। यह शहरों में जंगलों में उगता है। लावर शो पहुंचे आला अधिकारी भी इस पेड़ को देख खासा उत्साहित दिखे। आक्सीजन के मायने में यह आम पेड़ों से कहीं ज्यादा आक्सीजन देता है।


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