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सिसोदिया ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया, सीबीआई के आंकड़े महज कागजी

दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि सीबीआई के पास कथित दिल्ली आबकारी नीति मामले में उनकी संलिप्तता दिखाने के लिए कोई सबूत नहीं है

सिसोदिया ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया, सीबीआई के आंकड़े महज कागजी
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नई दिल्ली। दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने गुरुवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के पास कथित दिल्ली आबकारी नीति मामले में उनकी संलिप्तता दिखाने के लिए कोई सबूत नहीं है, और उन्हें निशाना बनाया जा रहा है ताकि उन्हें जेल में रखा जा सके। सीबीआई न्यायाधीश एम.के. नागपाल (राउज एवेन्यू कोर्ट) ने 5 अप्रैल को सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।

वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन ने आप नेता की ओर से न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा की खंडपीठ के समक्ष कहा कि सिसोदिया को छोड़कर सीबीआई मामले के अन्य सभी आरोपियों को जमानत पर रिहा कर दिया गया है।

उन्होंने यह भी कहा कि जांच एजेंसी के पास यह दिखाने के लिए कोई सबूत नहीं है कि आप नेता ने सबूतों के साथ छेड़छाड़ की है।

सिसोदिया की ओर से कृष्णन ने तर्क दिया, वे कहते हैं कि मैं सहयोग नहीं करता। यह मुझे जमानत देने से इनकार करने का आधार कभी नहीं हो सकता। मुझे जैसा वे चाहते हैं उस तरह से सहयोग करने, कबूल करने या सवालों के जवाब देने की आवश्यकता नहीं है। मुझे उस तरह से जवाब देना है जैसे मैं चाहता हूं, इसकी छूट संविधान देता है।

सिसोदिया के एक अन्य वकील वरिष्ठ अधिवक्ता मोहित माथुर ने कहा कि सीबीआई के आंकड़े सिर्फ कागजों पर हैं और पैसे के लेनदेन का कोई सबूत नहीं मिला है।

माथुर ने सिसोदिया की ओर से दलील दी, उन्होंने मुझे विजय नायर के माध्यम से इस कथित साजिश का मुख्य सूत्रधार बनाया है। लेकिन विजय नायर को सितंबर 2022 में गिरफ्तार किया गया था और चार्जशीट दायर होने से पहले ही नवंबर में रिहा कर दिया गया था। मुझे फरवरी 2023 में जाकर दूसरी बार पूछताछ के लिए बुलाया गया था। इसलिए, मेरे बारे में ये सभी आरोप कि मैं गवाहों को प्रभावित करने में सक्षम हूं, पूरी तरह से गलत हैं।

उच्च न्यायालय ने मामले की विस्तार से सुनवाई के बाद मामले की अगली सुनवाई 26 अप्रैल के लिए सूचीबद्ध कर दी।

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस.वी. राजू, सीबीआई के वकील अगली सुनवाई में अपना पक्ष रखेंगे।

न्यायमूर्ति शर्मा ने एएसजी को यह भी बताने के लिए कहा कि आबकारी नीति कैसे चलती है और जांच एजेंसी अपने जांच अधिकारी को उन्हें समझाने के लिए बुला सकती है।

सिसोदिया को जमानत देने से इनकार करते समय सीबीआई जज नागपाल ने कहा था कि सिसोदिया को प्रथम ²ष्टया आपराधिक साजिश का सूत्रधार माना जा सकता है।

उन्होंने टिप्पणी की थी कि लगभग 90-100 करोड़ रुपये की अग्रिम रिश्वत का भुगतान सिसोदिया और आप सरकार में उनके सहयोगियों के लिए था।

आदेश में कहा गया था कि जांच के इस चरण में अदालत सिसोदिया को जमानत पर रिहा करने के लिए तैयार नहीं है क्योंकि उनकी रिहाई से चल रही जांच पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है और इसकी प्रगति भी गंभीर रूप से बाधित होगी।


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