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सिंदूर सुहाग का प्रतीक, सामूहिक विवाह योजना में बदलाव भावनात्मक : असीम अरुण

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने 'ऑपरेशन सिंदूर' की भावना को सम्मान देते हुए मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में एक बड़ा बदलाव किया है

सिंदूर सुहाग का प्रतीक, सामूहिक विवाह योजना में बदलाव भावनात्मक : असीम अरुण
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने 'ऑपरेशन सिंदूर' की भावना को सम्मान देते हुए मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में एक बड़ा बदलाव किया है। अब इस योजना के अंतर्गत विवाह के बंधन में बंधने वाली कन्याओं को भेंटस्वरूप एक विशेष सिंदूरदानी भी दी जाएगी। योगी सरकार के इस फैसले पर प्रदेश सरकार के मंत्री असीम अरुण ने मंगलवार को अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं इस योजना की परिकल्पना की थी और इस भावनात्मक पहल की घोषणा की।

मंत्री असीम अरुण ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में प्रदेश के प्रत्येक ब्लॉक में गरिमापूर्ण सामूहिक विवाह समारोह आयोजित किए जाते हैं, जिनमें 100 से अधिक जोड़ों का विवाह कराया जाता है। अब तक इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक जोड़े को 51 हजार रुपए की आर्थिक सहायता दी जाती थी, जिसे बढ़ाकर अब एक लाख रुपए किया गया है। इसी के साथ मुख्यमंत्री के निर्देश पर अब कन्याओं को अन्य उपहारों के साथ एक सिंदूरदानी भी भेंट की जाएगी।

उन्होंने कहा कि सिंदूर सुहाग का प्रतीक है। यह केवल एक छोटा उपहार नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक और सामाजिक परंपराओं का सम्मान है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जो 'ऑपरेशन सिंदूर' हुआ, उसने यह सिद्ध किया कि भारत की महिलाएं अब रक्षा क्षेत्र में भी अग्रिम पंक्ति में हैं - चाहे वह थलसेना हो, वायुसेना हो या नौसेना। पहलगाम में हुई हालिया आतंकी घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि 'ऑपरेशन सिंदूर' के जरिए भारत ने न केवल अपने शहीद जवानों को न्याय दिलाया, बल्कि पाकिस्तान को सख्त संदेश दिया कि भारत अब हर आक्रामकता का जवाब निर्णायक ढंग से देगा। हम अब "गोली का जवाब गोले से नहीं, ब्रह्मोस से" देंगे। 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत 26 मिनट में 100 से अधिक आतंकवादियों को समाप्त कर दिया गया।

कश्मीर नीति के बारे में बात करते हुए असीम अरुण ने कहा कि 1947 में जो निर्णय लिए गए, वे सैनिक और राजनयिक दृष्टिकोण से गलत साबित हुए। यदि उस समय बेहतर निर्णय लिए जाते, तो आज की स्थिति से बचा जा सकता था। प्रधानमंत्री मोदी ने पीओके पर नेहरू की ऐतिहासिक भूल को उजागर किया है, जिसकी कीमत आज भी देश चुका रहा है। भूल चाहे किसी की भी हो, उससे सीखना जरूरी होता है। अगर हम इतिहास से नहीं सीखेंगे, तो वही गलतियां दोहराई जाएंगी।


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