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अफसरों की मिलीभगत से भू-माफियाओं की चांदी

योगी सरकार का एंटी भूमाफिया अभियान फिर से सुस्त पड़ गया है

अफसरों की मिलीभगत से भू-माफियाओं की चांदी
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गाज़ियाबाद। योगी सरकार का एंटी भूमाफिया अभियान फिर से सुस्त पड़ गया है। जिले में तीन सौ हेक्टेयर से अधिक सरकारी जमीन पर अभी भी भू-माफिया कुंडली मारे बैठे हैं। नगर निगम की करीब 200 हेक्टेयर बेशकीमती अरबों की जमीन निगम के अफसरों की मिलीभगत के चलते अवैध कब्जे में है। लोक निर्माण विभाग गेस्ट हाउस के पास नगर निगम की जमीन पर अवैध कब्जा बरकरार है।

अधिकारिक सूत्रों का कहना है कि निगम के कर्मचारियों व अफसरों की मिलीभगत के चलते अदालत में कमजोर पैरवी के चलते निगम जमीन पर कब्जा नहीं पा सका है। कानूनी कार्रवाई में रुचि न लेने के कारण दर्ज केस खारिज हो गए। सूत्रों की माने तो यहां पर रेट एक लाख रुपए वर्ग मीटर तक है। जांच कर रहे एडसडीएम इंदु प्रकाश सिंह ने जब पड़ताल की तो इस मामले का पर्दाफाश हुआ है। रिपोर्ट नगर आयुक्त सीपी सिंह पी गई है। बताया जा रहा है कि नगर निगम द्वारा बौंझा के खसरे की यह जमीन 30 साल पहले लीज पर दी गई थी। बाद में इस जमीन का व्यवसायिक इस्तेमाल होने पर अदालत का दरवाजा खटखटाया गया। अदालत में निगम की कमजोर पैरवी व कर्मचारियों की मिलीभगत से जमीन निगम के पाले से निकल गई।

हाल ही में जब यहां निर्माण कार्य शुरू हुआ तो पता चला कि जमीन निगम की है। नगर आयुक्त ने इसे गंभीर मामला माना है। उन्होंने मामले की जांच कर 15 दिन में रिपोर्ट सौंपने के निर्देश मातहत अधिकारी को दिए हैं। इसी तरह लोनी, मुरादानगर, खोड़ा में भी सैकड़ों हेक्टेयर जमीन अभी अवैध कब्जे में हैं। लेकिन सबसे अधिक नगर निगम की जमीन पर अवैध कब्जे की बात सामने आ रही है।


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