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बैंकिंग संशोधन अधिनियम अध्यादेश से सीकर अरबन को-ऑपरेटिव बैंक का भी होगा कायापलट

अरबन को-ऑपरेटिव बैंकों की कायापलट के पश्चात बैंकों की वसूली का कार्य तीव्र गति से होगा एवं बैंक के अंदर पेशेवर तरीके से कार्य को अंजाम दिया जा सकेगा।

बैंकिंग संशोधन अधिनियम अध्यादेश से सीकर अरबन को-ऑपरेटिव बैंक का भी होगा कायापलट
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सीकर। रिजर्व बैंक द्वारा राजस्थान में सीकर के सीकर अरबन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड के वित्तीय लेनदेन पर जारी रोक के बीच केंद्र सरकार द्वारा बैंकिंग संशोधन अधिनियम 2020 के अध्यादेश की मंजूरी से बैंक के जमाकर्ताओं में नई आशा का संचार हुआ है।

जानकारों ने आज बताया कि वर्तमान में बैंक के किसी भी प्रकार के जमाकर्ता को मात्र दो हजार रुपये की निकासी की ही इजाजत है, ऐसे में इस अध्यादेश के लागू होने के पश्चात बैंक के संचालन एवं प्रबंधन के ऊपर भारतीय रिजर्व बैंक का पूर्ण नियंत्रण स्थापित हो जाएगा एवं अरबन को-ऑपरेटिव बैंकों की कार्यशैली भी राष्ट्रीयकृत बैंकों के समकक्ष हो जाएगी। इससे बैंक के समस्त जमाकर्ताओं को अपनी जमा पूंजी के निकास का नया रास्ता उपलब्ध हो सकेगा।

अरबन को-ऑपरेटिव बैंकों की कायापलट के पश्चात बैंकों की वसूली का कार्य तीव्र गति से होगा एवं बैंक के अंदर पेशेवर तरीके से कार्य को अंजाम दिया जा सकेगा। को-ऑपरेटिव बैंकों में राजनीतिक दखलदाजी एवं राज्य सरकार की कोई भी हिस्सा पूंजी न होने के बावजूद भी सहकार विभाग के अनुचित हस्तक्षेप पर भी लगाम लगेगी।

सूत्रों ने बताया कि अध्यादेश को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के पश्चात सीकर अरबन को-ऑपरेटिव के पुनर्चलन का मार्ग प्रशस्त होगा और बैंक का नवीन रूप में कायापलट हो सकेगा। बैंक के संचालन एवं प्रबंधन में आरबीआई के दिशा निर्देशों एवं मानदंडों के मुताबिक नियुक्तियां होगी एवं बैंक का संचालन पूर्ण व्यवसायिक तरीके से किया जा सकेगा। इससे बैंक की वित्तीय स्थिति में सुधार होगा एवं जमाकर्ताओं को उनकी जमा पूंजी के प्रति सुरक्षा उपलब्ध होगी.

उल्लेखनीय है कि वर्ष 1971 में स्थापित इस बैंक पर भारतीय रिजर्व बैंक ने रिण की वसूली न होने एवं एनपीए का स्तर मानक मानदंडों से अधिक होने पर वित्तीय लेन-देन पर रोक लगा दी एवं खाताधारकों को मात्र दो हजार रुपये की निकासी की सीमा तय कर दी है। बैंक में लगभग 11 हजार खाताधारकों 42 करोड़ रुपये जमा है, जिनमें 500 से ज्यादा व्यवसायिक खाते हैं। बैंक में पूर्व में हुई अनियमितताओं एवं प्रक्रिया से हटकर लोन वितरण के चलते बैंक घाटे में आ गया। इस पर आरबीआई ने बैंकिंग अधिनियम की धारा 35 ए के तहत कार्रवाई करते हुए इसके लेन-देन पर रोक लगा दी, जिससे इसके खाताधारक परेशान हो रहे थे, हालांकि गत वित्त वर्ष में बैंक के आंकड़ों के मुताबिक बैंक लगभग 61 लाख रुपए के लाभ में रहा है.

सीकर अरबन कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सीकर के चेयरमैन डॉ.प्रदीप जोशी ने कहा-, यह सही है कि कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद को-ऑपरेटिव बैंकों का स्वरूप एवं परिदृश्य बदल जाएगा। आरबीआई के संपूर्ण पर्यवेक्षण में आने के पश्चात बैंक के हालात सुधरेंगे साथ ही जमाकर्ताओं को भी अपनी राशि मिलने का पूर्ण विश्वास संचारित होगा।


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