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बिहार की राजनीति में 'दावत-ए-इफ्तार' से सियासी समीकरण बदलने के संकेत

 बिहार में पाक माह रमजान के मौके पर राजनीतिक दलों द्वारा 'दावत-ए-इफ्तार' की परंपरा पुरानी है, लेकिन इस वर्ष राजनीतिक दलों द्वारा आयोजित दावतों में सियासी चेहरे बदले नजर आए

बिहार की राजनीति में दावत-ए-इफ्तार से सियासी समीकरण बदलने के संकेत
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पटना। बिहार में पाक माह रमजान के मौके पर राजनीतिक दलों द्वारा 'दावत-ए-इफ्तार' की परंपरा पुरानी है, लेकिन इस वर्ष राजनीतिक दलों द्वारा आयोजित दावतों में सियासी चेहरे बदले नजर आए, जो भविष्य की राजनीति की बदलती तस्वीर के संकेत भी दे गए।

कई नेता इसे भले ही राजनीति से दीगर बात बता रहे हों, लेकिन इतना तय माना जा रहा है कि आने वाले एक साल में बिहार की राजनीति में राजनीति दलों में सियासी चेहरे बदले नजर आएंगे।

वैसे पिछले वर्ष की तुलना की जाए तो इस बार राजनीतिक दलों के दोस्त बदले नजर आए। पिछले वर्ष राजद की तरफ से पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के 10, सर्कुलर रोड स्थित आवास पर आयोजित इफ्तार की दावत में महागठबंधन के तमाम नेता पहुंचे थे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पहुंचने पर उनका स्वागत खुद लालू प्रसाद ने किया था। नीतीश के पास लालू बैठे थे और उनसे कांग्रेस के अध्यक्ष व तत्कालीन शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी गुफ्तगू करते नजर आए थे।





इस साल मगर नजारा बदला-सा नजर आया। दावत-ए-इफ्तार तो हुई, लेकिन सियासी चेहरे बदल गए। राजद की दावत से अशोक चौधरी और नीतीश कुमार नदारद रहे, जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दिग्गज नेता, सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री शत्रुघ्न सिन्हा ने राजद की ओर से दी गई दावत की शोभा बढ़ाई।

राजनीतिक भविष्य को लेकर राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद की पुत्री और सांसद मीसा भारती ने अगले लोकसभा चुनाव में शत्रुघ्न सिन्हा को पटना साहिब से राजद का टिकट दिए जाने की घोषणा कर सियासी समीकरण बदलने के आसार पर मुहर भी लगा दी।

भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने भी अपने अंदाज में कहा, "सिचुएशन जो भी हो, स्थान यही होगा।"

जद (यू) द्वारा बुधवार को दी गई इफ्तार पार्टी से लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव नदाराद रहे, लेकिन वर्तमान उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी सहित भाजपा के तमाम नेता और अशोक चौधरी भी नजर आए।

खास बात यह कि जद (यू) की दावत में कांग्रेस के विधायक सुदर्शन कुमार और संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी और राजद विधायक महेश्वर प्रसाद यादव भी शमिल हुए।

राजद और जद (यू), दोनों बड़ी पार्टियों ने एक ही दिन यानी बुधवार की शाम दावत-ए-इफ्तार का आयोजन किया था।

इससे पहले, राजग में शामिल लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के प्रमुख रामविलास पासवान ने भी इफ्तार की दावत दी थी, जिसमें भाजपा और जद (यू) के नेता पहुंचे थे, लेकिन राजग के घटक दल राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा नहीं पहुंचे।

रालोसपा की ओर से भी रविवार को इफ्तार पार्टी का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी समेत लोजपा के नेताओं को आमंत्रित किया गया था। उनकी इफ्तार पार्टी में भाजपा के कुछ नेता तो पहुंचे, लेकिन जद (यू) और लोजपा के नेताओं ने इससे किनारा कर लिया।

हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख जीतनराम मांझी ने भी दावत-ए-इफ्तार का आयोजन किया था, जिसमें राजद और कांग्रेस के ज्यादातर नेता पहुंचे थे।

जद (यू) के नेता अशोक चौधरी कहते हैं कि इस पाक माहे रमजान पर सियासत नहीं, इबादत की बात करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आमंत्रित तो कई जगहों से किया जाता है, लेकिन समय के अभाव में लोग सभी जगह नहीं पहुंच पाते हैं, ऐसे में इसे सियासत के रूप में नहीं देखना चाहिए।

बहरहाल, इस पाक रमजान ने बिहार में नई सियासी तस्वीरें दिखाई हैं, अब आने वाला समय ही बताएगा कि इस 'ट्रेलर' की फिल्म किसके लिए 'सुपर हिट' होती है।


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